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बिहार में लगातार ढह रहे हैं पुल… आकाओं तक नहीं पहुंच रही आवाज!

केंद्र सरकार को या सही शब्दों में … नए बजट में बिहार को इंप्रâास्ट्रक्चर बूस्ट करने के लिए खजाना लुटाने में कोताही नहीं बरती है, लेकिन राज्य पिछले कई हफ्तों से कई पुलों के ढहने को लेकर खबरों में है। कभी-कभी तो एक ही दिन में पांच-पांच पुल भी ढह गए तो कई दफा तो निर्माणाधीन पुल ही ढह गए। सरकार के स्वयं के प्रारंभिक मूल्यांकन से पता चलता है कि उसके इंजीनियरों और ठेकेदारों ने मानक प्रक्रियाओं के मामले में कोताही बरती है। इसी माह में लगातार गिरे हुए पुलों को देखते हुए, अब भले ही नीतीश कुमार सरकार ने कम से कम १५ इंजीनियरों को निलंबित कर दिया है और दोषी ठेकेदारों से भुगतान करवाकर नए पुल बनाने का वादा किया है। हालांकि, नीतीश सरकार ने इस कार्रवाई से यह मैसेज देने की कोशिश की है कि वह पुल के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार को लेकर बेहद गंभीर है और भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन विश्वास कौन कर पाएगा? क्योंकि यह बात बच्चा-बच्चा भी जानता है कि भ्रष्टाचार को लेकर गाज जिन पर गिरी वह सिर्फ मोहरे भर ही हैं। क्योंकि भ्रष्टाचार के तार अपरोक्ष रूप से कहीं न कहीं राजनीति और राजनीतिक आकाओं से जुड़े हैं। इसलिए इस बात पर विश्वास करना बिल्कुल भी संभव नहीं है कि अब के बाद नव निर्मित पुलों की उम्र लंबी होगी।
२००५ में उस वक्त नीतीश कुमार की बड़ी-बड़ी तारीफें हुईं बिहार में पुलों का जाल बिछने लगा था। यह वह वक्त था जब सड़क के जरिए बिहार में १०० किलोमीटर की दूरी तय करने में ४ से ६ घंटे लग जाते थे। हालांकि, इससे चरमराता यह यंत्र काफी हद तक ठीक-ठाक हो गया था, लेकिन जिस तरह से बिहार में लगातार पुल गिरते जा रहे हैं उससे पैदा होनेवाली दिक्कतों से बिहार के उन लोगों को कौन निजात दिला पाएगा, जिनका आपसी संपर्क पुल के टूटने से खत्म हो गया है? पिछले माह १८ जून से लेकर अब तक तकरीबन दर्जन से अधिक पुल गिर चुके हैं। इंडियन रोड कांग्रेस की गाइडलाइंस हैं कि मानसून से पहले पुल का स्ट्रक्चरल ऑडिट होना चाहिए, लेकिन ऐसा शायद ही होता है।
बिहार विधानसभा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के इस स्टेटमेंट पर गौर करें कि बिहार में पुल क्यों गिर रहे हैं तो उसकी वजह कहीं न कहीं इन शब्दों में छिपी हुई है। बकौल तेजस्वी, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रहनुमाई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में ६ दलों वाली डबल इंजनधारी एनडीए सरकार में पुल के गिरने से जनता के स्वाहा हो रहे हजारों करोड़ रुपयों को स्वघोषित ईमानदार लोग ‘भ्रष्टाचार’ न कहकर ‘शिष्टाचार’ कह रहे हैं।’

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