नीतीश कुमार पर कांग्रेस का हमला
१२ दिनों में ४ पुलों ने ली जलसमाधि
सामना संवाददाता / पटना
बिहार में धड़ाधड़ गिर रहे पुलों को लेकर कांग्रेस ने नीतीश कुमार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने मांग की है कि पिछले डेढ़ दशक के दौरान राज्य में निर्मित पुल-पुलिया के निर्माण की गुणवत्ता की जांच न्यायिक आयोग से कराई जाए। बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने बयान जारी कर कहा है कि मुख्यमंत्री को चाहिए कि एक न्यायिक आयोग का गठन करें, ताकि जांच में लीपापोती की गुंजाइश ही नहीं बचे। एक के बाद एक ध्वस्त हुए पुल-पुलिया के कारण जनता में रोष है और यातायात सुरक्षा की चिंता भी बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि भ्रष्ट अफसरों, इंजीनियरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से जनता की गाढ़ी कमाई लूटी जा रही है। निर्माण कार्य से जुड़े सरकारी विभागों में सत्ता के संरक्षण में माफिया हावी हैं। उसके आगे विभागीय मंत्री तक विवश हैं। साक्ष्य मिटाने के लिए सचिवालय में जब-तब हुए अग्निकांडों की भी जांच होनी चाहिए।
बिहार के सिवान जिले में चार पुल १२ दिनों में ध्वस्त हो चुके हैं। इनमें कुछ पुल जर्जर हालत में थे, उस पर विभाग ने ध्यान नहीं दिया, तो कुछ निर्माण कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी होने के कारण समय से पूर्व ही ध्वस्त हो गए, इससे करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। पुल ध्वस्त होने के बाद डीएम मुकुल कुमार गुप्ता ने जिले के सभी जर्जर पुल का सर्वे कराया, इसमें ४६ पुल-पुलिया जर्जर पाए गए। सर्वे के बाद तीन जुलाई को महाराजगंज प्रखंड में तीन पुल ध्वस्त हो गए। इनमें देवरिया, टेघड़ा व तेवथा के पुल शामिल हैं। इसके अलावा २२ जून को दारौंदा प्रखंड की रामगढ़ा पंचायत के गरौली में भी गंडक नदी पर बना पुल ध्वस्त हो गया था। ये सभी पुल सर्वे में शामिल थे। घटना के बाद विभागीय अधिकारियों सहित प्रशासनिक महकमे में भी हलचल मच गई थी।
इस तरह से हुआ पुल का निर्माण
पुलों की स्थिति पर नजर डालें तो महाराजगंज प्रखंड की टेघड़ा पंचायत में ध्वस्त पुल का निर्माण १९९० में किया गया। इस पुल का निर्माण ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर किया था। ग्रामीणों के अनुसार, पुल निर्माण के बाद आज तक कोई मरम्मत नहीं की गई। वहीं तेवथा पंचायत में सिकंदरपुर-नौतन के बीच ध्वस्त पुल का निर्माण तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह ने १९९८ में छह लाख रुपए की लागत से कराया था।