सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका
पुलों के हाई लेवल ऑडिट की मांग
सामना संवाददाता / पटना
बिहार में पुलों के गिरने का सिलसिला लगातार जारी है। राज्य में धड़ाधड़ ब्रिज गिर रहे हैं। सारण में ही पिछले २४ घंटे के अंदर तीसरा पुल ध्वस्त हो गया। बनियापुर की दो पंचायतों सरेया और सतुआ को जोड़ने वाला पुल अनियमितता की भेंट चढ़ गया है। इससे दर्जनों गांवों का संपर्क टूट गया है। इस कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले १६ दिनों में अब तक १० पुल गिर चुके हैं। जिस तरह से पुलों का गिरना जारी है उसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है और पुलों के हाई लेवल ऑडिट की मांग की गई है।
पानी का तेज बहाव नहीं झेल पाया पुल
ग्रामीणों के अनुसार, गंडक नदी पर इस पुल का निर्माण पांच वर्ष पूर्व स्थानीय मुखिया के निजी कोष से हुआ था। नदी में सफाई कार्य के बाद पुल के किनारे और पिलर के पास की मिट्टी कम होने और पानी का बहाव तेज होने के कारण पुल टूट गया। लगभग दस किलोमीटर दूर लहलादपुर प्रखंड के जनता बाजार में बुधवार को दो पुल टूटने की घटना हुई थी। सारण जिले में गंडक नदी पर महज २४ घंटे के अंदर सारण जिले का तीसरा पुल टूटने का मामला सामने आया है।
सीवान में बैक टू बैक तीन पुल ध्वस्त
इससे पहले बुधवार को सीवान में बैक टू बैक तीन पुल ध्वस्त हो गए थे। लगातार बारिश के कारण कुछ ही घंटों में तीन पुल गिरने से कई गांवों के बीच संपर्क टूट गया है। पहली घटना गंडक नदी पर बना ३५ साल पुराने पुल का एक पिलर धंसने लगा। दूसरी घटना महाराजगंज प्रखंड की तेवथा पंचायत की है। नौतन और सिकंदरपुर गांव के बीच गंडक नदी पर बना पुल गिर गया। वहीं तीसरा पुल धीमही गांव में गंडक नदी पर बना था। यह भी धाराशायी हो गया। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दिन पहले इस पुल की मरमत भी हुई थी।
बिहार में पुलों के ढहने को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता एडवोकेट ब्रजेश सिंह ने अपनी याचिका में आग्रह किया है कि सुप्रीम कोर्ट को राज्य में मौजूद छोटे और बड़े पुलों और हाल के सालों में किए गए सरकारी निर्माण के संरचनात्मक ऑडिट का आदेश देना चाहिए। याचिका में लिखा है कि इस मुद्दे पर तत्काल विचार की आवश्यकता है। दो सालों के अंदर तीन प्रमुख निर्माणाधीन पुलों और अन्य कई पुलों के ढहने की घटनाएं घटीं जिनमें कुछ लोगों की मौत हो गई और अन्य लोग घायल हो गए। सरकार की घोर लापरवाही और ठेकेदारों और संबंधित एजेंसियों की सांठ-गांठ और भ्रष्टाचार के चलते सरकारी खजाने और मानव जीवन को नुकसान हो सकता है।