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उद्योग-धंधों की टूटी कमर! तीन महीने में ३.७ प्रतिशत के निचले स्तर पर पहुंची विकास दर, उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में ६.९ प्रतिशत की गिरावट

उद्योग किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होते हैं। इनके विकास से ही देश के विकास की गणना होती है। पिछले ९ सालों के कार्यकाल में मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ होने का खूब ढिंढोरा पीटा है। पर सरकार द्वारा जारी आंकड़े तो कुछ और ही कहानी कहते हैं। हाल ही में सरकार ने तिमाही के आंकड़े जारी किए हैं। पर ये आंकड़े निराश करनेवाले हैं क्योंकि जून का औद्योगिक विकास काफी धीमा रहा है। यह तीन महीनें के अपने सबसे निचले पायदान पर रहा और इसकी विकास दर मात्र ३.७ प्रतिशत रही। इसके साथ ही बिजली उत्पादन की विकास दर में भी काफी गिरावट दर्ज की गई है।
बाजार के जानकार बताते हैं कि मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि धीमी पड़ी है। ‘एनएसओ’ (राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय) के गत सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार पर मापे जाने वाले औद्योगिक उत्पादन में पिछले साल इसी महीने में कमजोर तुलनात्मक आधार के कारण १२.६ प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इससे पहले, मार्च २०२३ में आईआईपी में १.९ प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। उसके बाद, अप्रैल में बढ़कर यह ४.५ प्रतिशत और मई महीने में ५.३ प्रतिशत रही थी। आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में अप्रैल-जून के दौरान ४.५ प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो २०२२ की इसी तिमाही में १२.९ प्रतिशत थी। हालांकि, सरकार का आधिकारिक बयान कहता है कि ‘मार्च, २०२० के बाद से कोविड के कारण असामान्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष की इसी अवधि में विभिन्न क्षेत्रों में हुई वृद्धि दर का विश्लेषण किया जाना चाहिए।’
विनिर्माण क्षेत्र का कमजोर प्रदर्शन
जानकार बताते हैं कि ‘तिमाही आधार पर वृद्धि दर में गिरावट का कारण विनिर्माण क्षेत्र का कमजोर प्रदर्शन है। हालांकि, जून महीने में कम बारिश से खनन और बिजली क्षेत्र की वृद्धि में सुधार देखने को मिला। खनन उत्पादन में उक्त महीने में ७.६ प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी महीने में क्षेत्र का उत्पादन ७.८ प्रतिशत बढ़ा था। उपयोग आधारित वर्गीकरण के तहत पूंजीगत वस्तुओं के खंड में इस साल जून में २.२ प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो एक साल पहले इसी महीने में २८.६ प्रतिशत थी।
टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में उक्त महीने में ६.९ प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें २५.२ प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। गैर-टिकाऊ उपभोक्ता सामान का उत्पादन इस साल जून महीने में १.२ प्रतिशत बढ़ा, जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें २.९ प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। बुनियादी ढांचा / निर्माण वस्तुओं की वृद्धि दर उक्त महीने में ११.३ प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी महीने में ९.४ प्रतिशत थी।
१५ महीने के उच्च स्तर पर खुदरा महंगाई दर
सांख्यिकी मंत्रालय ने खुदरा महंगाई दर को लेकर जो डेटा जारी किया है, उसके मुताबिक जुलाई में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है। टमाटर समेत खाने-पीने की चीजों की कीमतों में तेज उछाल के चलते जुलाई २०२३ में खुदरा महंगाई दर फिर से बढ़कर लंबी छलांग लगाते हुए ७ फीसदी के पार जा पहुंची है। आंकड़ों के मुताबिक, शहरी इलाकों में खुदरा महंगाई दर ७.६३ फीसदी, जबकि ग्रामीण इलाकों में ७.२० फीसदी रही है।
बिजली उत्पादन की विकास दर भी गिरी
आईआईपी आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन जून, २०२३ में ३.१ प्रतिशत बढ़ा, जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें १२.९ प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। बिजली उत्पादन में ४.२ प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें १६.४ प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, ‘आईआईपी में सालाना आधार पर वृद्धि जून, २०२३ में उम्मीद से कम रही और यह तीन महीने के निचले स्तर ३.७ प्रतिशत पर आ गई। इससे बुनियादी उद्योग की वृद्धि से जो उम्मीद बंधी थी, वह सही साबित नहीं हुई।’

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