सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई-अमदाबाद बुलेट ट्रेन पब्लिक के लिए नहीं बल्कि भाजपाई गुजरातियों के लिए चलाई जानेवाली है। इस तरह के आरोप मोदी सरकार के ऊपर लगाए जा रहे हैं। इसका कारण है कि इस बुलेट ट्रेन के लिए जो सहायक चीजों का निर्माण किया जा रहा है, उनके प्राय: सभी ठेका गुजरातियों को दे दिए गए हैं। यह ट्रेन मुंबई और अमदाबाद के बीच चलनेवाली है। मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है और देश की अधिकांश प्रमुख कंपनियों के मुख्यालय यही हैं। मगर बुलेट परियोजना के लिए इन्हें नजरअंदाज करके सभी ठेके गुजरात के सुपुर्द कर दिए गए हैं। ऐसे में सरकार के इस महाराष्ट्र द्वेष और गुजरात प्रेम से आम मुंबईकरों में नाराजगी है।
‘बुलेट’ के शोर पर गुजरात का कंट्रोल!
-नॉइज बेरियर बनानेवाली सभी ६ कंपनियां पड़ोसी राज्य की
इस ट्रेन के शोर को नियंत्रित करने के लिए १,७५,००० से अधिक नॉइज बैरियर्स लगाए जा रहे हैं, जिनमें से अधिकांश का निर्माण कार्य भी गुजरात की फैक्ट्रियों में किया जा रहा है।
मुंबई और अमदाबाद के बीच चलनेवाली बुलेट ट्रेन परियोजना का विवादों से चोली-दामन का साथ है। मोदी सरकार इस परियोजना के बहाने गुजरात की कंपनियों को लाभ पहुंचा रही है, जबकि महाराष्ट्र के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। परियोजना के अधिकांश ठेके गुजरात के भाजपा से जुड़े कारोबारियों को दिए जाने की चर्चा है। पता चला है कि इस ट्रेन के शोर को नियंत्रित करने के लिए १,७५,००० से अधिक नॉइज बैरियर्स लगाए जा रहे हैं, जिनमें से अधिकांश का निर्माण कार्य भी गुजरात की फैक्ट्रियों में किया जा रहा है।
बता दें कि गुजरात के सूरत, आणंद और अमदाबाद में तीन प्रीकास्ट फैक्ट्रियों में इन बैरियर्स का निर्माण किया जा रहा है। एक किलोमीटर लंबे वायाडक्ट के दोनों ओर २००० नॉइज बैरियर्स लगाए गए हैं। ये बैरियर्स २ मीटर ऊंचे और १ मीटर चौड़े कंक्रीट पैनल होते हैं, जिनका वजन करीब ८४० किलोग्राम है। इनका उद्देश्य ट्रेन और पटरियों के बीच उत्पन्न होनेवाले शोर को परावर्तित करना है। आवासीय और शहरी क्षेत्रों में, इन बैरियर्स की ऊंचाई ३ मीटर तक होगी, जिसमें २ मीटर कंक्रीट और १ मीटर ट्रांसपेरेंट पॉलीकार्बोनेट से बने होंगे। यह डिजाइन यात्रियों के दृश्य को बाधित किए बिना शोर को कम करेगा, जिससे ट्रेन यात्रा का अनुभव और भी बेहतर होगा। मुंबई-अमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत नॉइज बैरियर्स लगाने का यह प्रयास पर्यावरण के प्रति जागरूकता और स्थानीय लोगों को शोर की परेशानी से बचाने के लिए है।