मुख्यपृष्ठअपराधगड़े मुर्दे ..जब चुनाव प्रचार के दौरान अगवा हो गए थे विधायक

गड़े मुर्दे ..जब चुनाव प्रचार के दौरान अगवा हो गए थे विधायक

धर्मराव बाबा आत्राम गढ़चिरौली जिले की आहेरी सीट से अजीत पवार गुट के उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला इस बार दिलचस्प इसलिए है, क्योंकि उनके सामने इन्हीं की बेटी भाग्यश्री आत्राम खड़ी हैं, जिन्हें एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने टिकट दिया है। इन्हीं बाबा आत्राम से जुड़ी एक और दिलचस्प कहानी है, जिसने वर्ष १९९१ में पूरे देश में सनसनी फैला दी थी।
वर्ष १९९० के महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में आत्राम कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए। उसके अगले साल यानी १९९१ में लोक सभा चुनाव हुए। बाबा आत्राम कांग्रेस के उम्मीदवार शांताराम पोटदुखे के साथ गांव-गांव घूम रहे थे। प्रचार मुहिम के दौरान एक दिन वे उम्मीदवार के साथ अल्लापल्ली के पास मेड़पल्ली नाम के गांव पहुंचे। उस दिन गांव में एक शादी भी थी। गांव के स्कूल में जब बाबा आत्राम लोगों से बातचीत कर रहे थे, तभी करीब आधा दर्जन नक्सली वहां पहुंच गए। उन्होंने राइफल की नोक पर आत्राम को साथ चलने के लिए कहा। गांव वालों ने आत्राम को नक्सलियों के साथ जाने से रोकने के लिए उन्हें घेर लिया, लेकिन खून-खराबे की आशंका को देखते हुए बाबा ने उन्हें रोका।
विधायक के अपहरण की खबर फैलते ही हंगामा मच गया। राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार दबाव में आ गई। राजीव गांधी ने मुख्यमंत्री शरद पवार को फोन करके कहा कि हर हाल में आत्राम को छुड़ाया जाना चाहिए। पवार गढ़चिरौली के पुलिस अधीक्षक के.पी. रघुवंशी से लगातार खोज अभियान की जानकारी ले रहे थे। खोजी कुत्तों के साथ हेलीकॉप्टर से भी आत्राम की तलाश की जाने लगी।
नक्सलियों ने सरकार के सामने मांग रखी कि जेल में कैद उनके साथी शिवअन्ना को आत्राम की जान के बदले रिहा किया जाए। शिवअन्ना एक बेहद खतरनाक नक्सली था, जिसने कई पुलिसकर्मियों और आदिवासियों की हत्या की थी। बड़ी मुश्किल से पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था।
इस बीच नक्सलियों ने पड़ोस के आंध्र प्रदेश में एक कांग्रेस विधायक की उसके घर में घुसकर हत्या कर दी, जिसने तनाव और बढ़ा दिया। दो हफ्ते होने आए थे, लेकिन पुलिस आत्राम को नहीं ढूंढ पाई थी। आखिर सरकार ने नक्सलवादियों की मांग मान लेने का फैसला किया। नक्सलियों की एक वकील की मध्यस्थता से बात शुरू हुई। शिवअन्ना के खिलाफ चल रहे सभी मामलों में उसकी जमानत करा दी गई।
उसे चंद्रपुर जेल से रिहा कर दिया गया। वो अपने वकील के साथ जंगल में जाकर गुम हो गया। कुछ घंटों बाद बाबा आत्राम को भी नक्सलियों ने छोड़ दिया।
शिवअन्ना को छोड़े जाने से पुलिस अधीक्षक रघुवंशी काफी दुखी हुए। उनका कहना है कि पुलिस की टीम नक्सलियों के बेहद करीब तक पहुंच गई थी, लेकिन तब तक सरकार ने फैसला कर लिया। यही शिवअन्ना कुछ सालों बाद फिर से एक पुलिस मुठभेड़ में पकड़ा गया। बाबा आत्राम की बेटी भाग्यश्री आत्राम का कहना है कि उन्होंने शरद पवार वाली पार्टी से उम्मीदवारी इसलिए ली, क्योंकि शरद पवार ने ही उनके पिता को जिंदा छुड़ाने में मदद की थी।
(लेखक एनडीटीवी के सलाहकार संपादक हैं।)

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