जीतेंद्र दीक्षित
एक वेब सीरीज ने फिर से १९९९ में हुए इंडियन एयरलाइंस विमान हाईजैकिंग कांड को चर्चा में ला दिया है। करीब हफ्ते भर तक चले हाईजैक ड्रामा ने पूरे देश की धड़कनें तेज कर दी थी। उस घटना का मुंबई कनेक्शन भी है। विमान को पहले मुंबई से हाईजैक किए जाने की साजिश थी।
जब २४ दिसंबर १९९९ को हाईजैक ड्रामा शुरू हुआ तो उसके बाद भारत की खुफिया एजेंसी रॉ भी उसके साजिश के सूत्रधारों को खोजने में लग गई। इस दौरान रॉ के हाथ एक मोबाइल नंबर लगा। उसे यह जानकारी मिली की हाईजैकर्स का एक साथी मुंबई में मौजूद है और वह मोबाइल फोन के जरिए पाकिस्तान में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के साथ संपर्क में है। उस मोबाइलधारक के जब नाम और पते की पड़ताल की गई तो वे फर्जी निकले।
हेमंत करकरे नाम के आईपीएस अधिकारी, जो बतौर महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते के प्रमुख के तौर पर २६ नवंबर २००८ को हुए हमले में शहीद हुए, तब रॉ के लिए काम करते थे। वे तुरंत मुंबई आए और मुंबई क्राइम ब्रांच के तत्कालीन प्रमुख डी शिवानंदन को पूरी जानकारी दी। इसके बाद शिवानंदन ने क्राइम ब्रांच अधिकारियों की कई टीमें बनाई, जो फोन नंबर हेमंत करकरे ने दिया था उसकी निगरानी शुरू की गई।
मोबाइल नंबर की निगरानी करते हुए क्राइम ब्रांच की टीम उस व्यक्ति तक पहुंच गई जो कि फोन पर अपने पाकिस्तानी एकाउंट के साथ संपर्क में था। ये शख्स भिंडी बाजार के चौराहे पर स्थित शालीमार होटल में हवाले से भेजे गए पैसे उठाने आया था।
इस आदमी ने अपने बाकी साथियों के साथ जोगेश्वरी में एक तबेले के पीछे बनी चाल में अपना अड्डा बना रखा था। रॉ के निर्देश पर पुलिस ने तुरंत उन्हें गिरफ्तार नही किया लेकिन निगरानी जारी रखी। अफगानिस्तान के कंधार में जब हाईजैक का ड्रामा खत्म हुआ तब मुंबई पुलिस ने इन लोगों की धरपकड़ का फैसला किया। क्राइम ब्रांच के कमांडोज चाल में घुसे और वहां मौजूद सभी आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया। वहां से कुल पांच आरोपी—रफीक मोहम्मद, अब्दुल लतीफ, मुस्ताक आजमी, मोहम्मद आसिफ बबलू और गोपाल सिंह मान पकड़े गए। तीन आरोपी छापे के पहले ही भाग गए। गिरफ्तार लोगों के यहां की गई छापेमारी के दौरान मुंबई के अलग-अलग ठिकानों से बड़े पैमाने पर ऑटोमेटिक हथियार जैसे एके ५६ राइफल, हैंडग्रेनेड, रॉकेट लांचर, पिस्तौलें, डेटोनेटर, भारतीय और अमरीकी मुद्रा भी मिले।
पकड़े गए लोगों से जब शक्ति से पूछताछ की गई तो पता चला कि जो ही जाकर विमान में मौजूद थे, वह जुलाई १९९९ में मुंबई आए हुए थे। मुंबई में कुछ पासपोर्ट अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों और पोस्टमैन को रिश्वत देकर इन्होंने अपने पासपोर्ट बनवा लिए थे। उनका इरादा मुंबई से विमान हाईजैक करने का था इसलिए सभी आतंकी रेकी करने के लिए मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी गए। उन दिनों सीआईएसएफ के बजाय मुंबई पुलिस के हाथों हवाई अड्डे की सुरक्षा व्यवस्था की कमान थी। सुरक्षा इंतजारों को देखकर उन्हें लगा कि यहां उनकी दाल नहीं कर सकती। इसके बाद उन्होंने काठमांडू से विमान हाईजैक करने का प्लान बनाया।
(लेखक एनडीटीवी के सलाहकार संपादक हैं।)