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२०४० तक मायानगरी में पानी ही पानी … डूब जाएगी १३ फीसदी मुंबई! …सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस की नई रिपोर्ट में खुलासा

सामना संवाददाता / मुंबई
बंगलुरू स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (सीएसटीईपी) ने अपनी नई रिपोर्ट में खुलासा किया है कि समुद्र का बढ़ता जलस्तर २०४० तक मायानगरी में पानी ही पानी हो जाएगा। यानी मुंबई में १३.१ फीसदी से अधिक जमीन को पानी निगल लेगा। मतलब कि यदि उत्सर्जन पर लगाम न लगाई गई तो समुद्र के बढ़ते जलस्तर की वजह से मुंबई में करीब ८३० वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पानी में डूब जाएगा, वहीं सदी के अंत तक यह आंकड़ा बढ़कर १,३७७.१३ वर्ग किलोमीटर (२१.८ फीसदी) तक पहुंच सकता है। ऐसा ही कुछ दूसरे तटीय शहरों के मामले में भी देखने को मिलेगा।
रिपोर्ट में यह भी अंदेशा जताया गया है कि अगले १६ वर्षों में चेन्नई का ७.३ फीसदी (८६.८ वर्ग किलोमीटर) हिस्सा पानी में डूबा होगा। यह क्षेत्र सदी के अंत तक बढ़कर १८ फीसदी (२१५.७७ वर्ग किलोमीटर) से ज्यादा हो जाएगा। इसी तरह २०४० तक यनम और थूथुकुड़ी में करीब दस फीसदी हिस्सा पानी में डूब जाएगा। पणजी और चेन्नई में यह आंकड़ा पांच से दस फीसदी के बीच रहने का अंदेशा है। वहीं समुद्र का बढ़ता जलस्तर कोच्चि, मैंगलोर, विशाखापत्तनम, हल्दिया, उडुपी, पारादीप और पुरी में एक से पांच फीसदी जमीन को निगल सकता है।
मुंबई और चेन्नई की तुलना में मैंगलोर, हल्दिया, पारादीप, थूथुकुड़ी और यनम में कहीं ज्यादा जमीन पानी में डूब चुकी होगी। गौरतलब है कि अपनी इस रिपोर्ट में सीएसटीईपी ने देश के १५ तटीय शहरों और कस्बों में समुद्र के बढ़ते जलस्तर का आंकलन किया है। इनमें विशाखापत्तनम, पणजी, मंगलोर, उडुपी कोचीन, कोझिकोड, तिरुवनंतपुरम, मुंबई, पाराद्वीप, पुरी, यनम, चेन्नई, कन्याकुमारी, तूतीकोरिन और हल्दिया का समावेश है।
मुंबई से जुड़े आंकड़ों को देखें तो रिपोर्ट के मुताबिक सदी के अंत तक उच्च उत्सर्जन परिदृश्य में वहां समुद्र का जलस्तर १०१.४ सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है, जो मुंबई के २२ फीसदी हिस्से को अपने आगोश में ले लेगा। इसी तरह चेन्नई में जलस्तर ९४.७ सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है, जो वहां के १८.२ फीसदी (२१६ वर्ग किलोमीटर) से ज्यादा हिस्से को निगल लेगा।

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