जय सिंह, मुंबई
गोरखपुर जिले को आर्य संस्कृति और सभ्यता का एक अहम केंद्र माना जाता रहा है। प्राचीन काल में गोरखपुर कोशल राज्य का हिस्सा हुआ करता था, जो छठी सदी में १६ महाजनपदों में से एक था। ब्रिटिश राज में साल १८६५ में, गोरखपुर जिले से अलग करते हुए बस्ती को नया जिला बनाया गया। आजादी से पहले साल १९४६ में एक बार फिर गोरखपुर का विभाजन किया गया और प्रदेश के नक्शे पर देवरिया के रूप में नया जिला बनकर आया। पूर्वांचल क्षेत्र के अहम शहरों में गिने जाने वाले गोरखपुर का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन गोरखपुर में नेपाल तराई के कुछ हिस्सों के जिले के साथ-साथ बस्ती, देवरिया, महराजगंज और आजमगढ़ शामिल थे।
१९८९ में गोरखपुर का तीसरी बार विभाजन किया गया और इस बार महाराजगंज नया जिला बना। गोरखपुर की गोरखनाथ मंदिर और गीताप्रेस की वजह से भी दुनियाभर में विशेष पहचान है। इस सीट पर गोरखनाथ मंदिर का खासा प्रभाव माना जाता है। महंत दिग्विजय नाथ के बाद महंत अवैधनाथ कई बार सांसद चुने गए। फिर योगी आदित्यनाथ ५ बार सांसद चुने गए। पूरा राज्य जहां से संचालित होता है वह जिला है गोरखपुर यह जिला मुख्यमंत्री का कार्य क्षेत्र है। इस जिले में दो लोकसभा क्षेत्र हैं। गोरखपुर सदर लोकसभा क्षेत्र और दूसरी बांसगांव लोकसभा क्षेत्र। गोरखपुर सदर से मौजूदा समय में भोजपुरी के सुपर स्टार रवि किशन सांसद हैं। दोनों लोकसभा क्षेत्रों में कुल ९ विधानसभा सीटें हैं, जिसमें गोरखपुर सदर में ५ विधानसभा सीटें हैं, जिसमें गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच और वैंâपियरगंज गोरखपुर में आती हैं। योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद साल २०१८ में हुए उपचुनाव में इस सीट पर सपा ने जीत हासिल की। गोरखपुर लोकसभा सीट में आखिरी यानी सातवें चरण में एक जून को मतदान होगा। इस बार फिर भाजपा ने यहां से रवि किशन को मैदान में उतारा है। रवि किशन मौजूदा समय में सांसद हैं। उन्होंने इस सीट से साल २०१९ में जीत हासिल की थी। वहीं `इंडिया’ गठबंधन की बात करें तो यहां से सपा ने भोजपुरी एक्ट्रेस काजल निषाद पर दांव लगाया है। काजल भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुकी हैं। साल २०१२ में उन्होंने राजनीति में एंट्री की थी। उस समय काजल कांग्रेस में थीं। इसके बाद साल २०२२ में उन्होंने साइकिल का दामन थाम लिया।
गोरखपुर में ड्रेनेज सिस्टम बड़ी समस्या है। शहर की कई सड़कों को फोरलेन किया गया है। लेकिन अधिकतर मुख्य मार्गों पर बनी नालियां सड़क से ऊंची बना दी गई हैं। शहर के कचरे को डंप करना नगर निगम के लिए मुसीबत से कम नहीं है। लोगों को जाम के साथ अतिक्रमण की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। २०१९ के संसदीय चुनाव में गोरखपुर संसदीय सीट से भाजपा ने भोजपुरी के स्टार रवि किशन शुक्ला को मैदान में उतारा। नए चेहरे के सामने समाजवादी पार्टी ने राम निषाद को टिकट दिया। इससे पहले २०१८ में गोरखपुर सीट पर कराए गए उपचुनाव में बीजेपी को जोर का झटका लगा था क्योंकि यह सीट योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने की वजह से खाली हुई थी। लेकिन उपचुनाव में सपा के प्रत्याशी प्रवीण कुमार निषाद ने बीजेपी के उम्मीदवार उपेंद्र दत्त शुक्ला को कांटेदार मुकाबले में २१,८०१ मतों के अंतर से हरा दिया था। रवि किशन को जहां एक तरफ भोजपुरी अभिनेत्री चैलेंज कर रही है वही अचानक से प्रगट हुई रवि किशन शुक्ला की पत्नी और बच्ची ने गोरखपुर में भूकंप का काम किया। लोगों की मानें तो इस सीट पर स्टारडम न के बराबर है। कहते हैं अगर रवि किशन शुक्ला ने योगी बाबा की खड़ाऊ की पूजा बंद की तो इस सीट पर कभी भी २०१८ दोहराया जा सकता है।