विक्रम सिंह/सुल्तानपुर
मंगलवार को विश्व कैंसर दिवस था। हरेक चिकित्सा शिक्षा संस्थानों व अस्पतालों में दिनभर कैंसर जागरूकता अभियान चलते रहे। सुल्तानपुर के राजकीय मेडिकल कालेज में भी कैंसर जनजागरूकता कार्यक्रम एवं स्क्रीनिंग कैंप लगा। जिसका संचालन कर रहे डॉक्टर अम्बर केसरवानी ने बताया कि लक्षण को पहचान कर जागरूक होने की आवश्यकता है न कि घबराने की। कैंसर के लक्षण को देख कर घबराये नहीं। अभिभावक छोटे बच्चों के सामने रोल मॉडल बनें। उनके सामने अच्छा उदहारण पेश करें। आप जो आचरण करते हैं बच्चे उसी को फॉलो करते हैं। अगर आप धूम्रपान करते हैं तो बच्चे उसे अच्छा समझ कर आचरण में उतारते हैं। परिवार में किसी एक को कैंसर उसके लिए ही नहीं अपितु पूरे परिवार और समाज को प्रभावित करता है। धूम्रपान न करें। ये मुख कैंसर का मुख्य कारक होता है। एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉक्टर अंकित अग्रवाल ने बताया कि भारत में ख़ास तौर से उत्तर प्रदेश में ३० प्रतिशत लोग ओरल कैंसर से प्रभावित हैं।
पानमसाला-सिगरेट सेवन इसका मुख्य कारण है। मुंह का कम खुलना,आवाज का बदलना.. ये सब इसके लक्षण हैं। इसलिये समय-समय पर चेकअप करवाते रहें। पानमसाला चबाना इसका मुख्य कारण है। बचाव के लिए शराब और पान मसाला का सेवन छोड़ें और जिंदगी को जियें। स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सोनाली श्रीवास्तव ने सरवाइकल कैंसर के बारे में बताया। इसका मुख्य कारण एचपीबी वायरस है। महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता, यौन समस्या के चलते ऐसी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है। पाइपस्मिया जांच समय-समय पर करवाते रहना चाहिए। जो कि मेडिकल कालेज में निःशुल्क है। जांच करवा कर ही इसका निदान संभव है। चिकित्स्कों से कुछ भी छिपाना नहीं चाहिए, तभी इसका इलाज सही समय पर ठीक से हो सकता है। जागरूक बन कर जांच कराएं। भारत सरकार जल्द ही इसकी वैक्सीन भी उपलब्ध करवाने जा रही है। ९ वर्ष से ४५ वर्ष वय के लोगों को ये वैक्सीन लगाई जाती है। जिसका समय निर्धारित होता है।
सर्जरी विभाग की चिकित्सक डॉक्टर किरन रिबेलो ने बताया कि स्तन कैंसर महिला और पुरुष दोनों में हो सकते हैं। कोशिकाओं में वृद्धि होने से ये गांठ का रूप ले लेती है। जो कैंसर का रूप बन सकती है। इसके प्रमुख कारण तथा लक्षण महिलाओं का स्तनपान न कराना, मोटापा, वजन बढ़ना, पहला बच्चा अधिक उम्र में पैदा होना या कोई बच्चा न होना, शराब का सेवन,अनियमित जीवनशैली है। यूं तो प्रतिदिन ओपीडी में स्तन गांठ के १०-२० मरीज आते हैं, लेकिन सभी स्तन गांठ के मरीजों में कैंसर नहीं होता है। स्तन की मैमोग्राफी और यूएसजी की जाती है। कैंसर और स्यागिन के निदान की पुष्टि के लिए एफएनएसी जांच और बायोप्सी की जाती है।।प्रत्येक स्तन गांठ के ऑपरेशन के बाद, कैंसर की संभावना को खत्म करने के लिए नमूना हिस्टोपैथोलॉजी के लिए भेजा जाता है।
पैथॉलाजी की इंचार्ज डॉक्टर सुपर्णा ने बताया कि जागरूकता जरूरी है। साथ-साथ स्क्रीनिग भी। इसकी पाईपिस्मिया जांच मेडिकल कालेज में मुफ्त उपलब्ध है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर ओम प्रकाश चौधरी ने बताया कि कैंसर हमारे शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। शरीर में कुछ असामान्य होना या गांठ का होना, उनमें दर्द होना या दर्दरहित होना, दोनों ही दशा में जांच अति आवश्यक है। सबसे ज्यादा ख़तरनाक लिवर कैंसर होता है जो कि शराब-सिगरेट के सेवन से होता है। जागरूकता आवश्यक होती है लक्षण पहचानते हुए समय रहते यदि जांच होती है तो इसका इलाज भी संभव है मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉक्टर सलिल श्रीवास्तव ने बताया, हम लोगों को हमेशा जागरूक करते रहते हैं। हमें विश्व कैसर दिवस मनाना ही नहीं चाहिए अपितु उसको अपने आचरण मे उतारना चाहिए।।कैंसर रोगी की सहायता में आगे आना चाहिए। उसका मनोबल बढ़ाना चाहिए। जरूरत है खुद जागरूक होने और पूरे समाज को जागरूक करने की। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर एसके गोयल ने कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए उन्हें समाज को भी जागरूक करने का आह्वान किया।