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केक के हर बाइट में कैंसर का खतरा … बर्थ डे सेलिबेशन का सदमा

– डॉक्टरों ने किया आगाह

सामना संवाददाता / मुंबई
चॉकलेट केक, पाइनएप्पल केक, ब्लू बेरी, रेड वेलवेट केक, ब्लैक फॉरेस्ट केक जैसे कई केक के नाम सुनकर आपके भी मुंह में पानी आ जाएगा। कई लोगों को केक खाना बहुत ही पसंद होता है। किसी का जन्मदिन हो या कोई अच्छा काम, आजकल केक काटकर उसे मनाने का चलन है, लेकिन केक खाने से वैंâसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। कर्नाटक खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता विभाग के एक हालिया अध्ययन में रेड वेलवेट और ब्लैक फॉरेस्ट जैसे केक पर परीक्षण किए गए २३५ केक नमूनों में से १२ में वैंâसरकारी तत्व पाए गए। खाद्य सुरक्षा आयुक्त श्रीनिवास के ने राज्य भर की बेकरियों से उनके द्वारा उपयोग की जानेवाली सामग्री के बारे में अधिक सतर्क रहने का आग्रह किया है, जो विशेष रूप से हानिकारक रसायनों और कृत्रिम रंगों के उपयोग के खिलाफ चेतावनी देता है, इसे लेकर चिकित्सकों ने भी आगाह किया है।

केक में पाए गए वैंâसर पैदा करनेवाले घटक?
कर्नाटक सरकार का कहना है कि कुल २३५ केक नमूनों में से २२३ सुरक्षित पाए गए, लेकिन १२ केक में खतरनाक स्तर का कृत्रिम रंग पाया गया, जिससे वैंâसर जैसी बीमारियों का खतरा है। कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा विभाग के मुताबिक, रेड वेलवेट और ब्लैक फॉरेस्ट केक, जिन्हें लोग बड़े चाव से खाते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

ऐसे होता है खतरा
डॉ. मनीषा अरोड़ा के मुताबिक, यदि कृत्रिम रंगों का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो वे हानिकारक हो सकता है। यही रंग वैंâसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हार्मोनल व्यवधान और प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर होने का कारण बन सकते हैं। ऐसे केक का कभी-कभार सेवन न्यूनतम जोखिम पैदा कर सकता है। हालांकि, नियमित सेवन से महत्वपूर्ण दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव हो सकता है।

खाद्य सुरक्षा आयुक्त की चेतावनी
कर्नाटक खाद्य सुरक्षा आयुक्त श्रीनिवास ने कहा कि विभिन्न बेकरियों के नमूनों पर किए गए परीक्षणों से कुछ प्रकार के केक में कृत्रिम रंगों के उच्च स्तर का पता चला है। गोभी मंचूरियन, कबाब और पानीपुरी सॉस जैसे खाद्य पदार्थों में कृत्रिम रंगों पर विभाग के पिछले प्रतिबंध के बाद अब केक के लिए चेतावनी जारी की गई है।

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