- पावर का गलत इस्तेमाल ठीक नहीं; कोर्ट
- वित्तीय विवाद के मामले में सुनवाई पर भड़की अदालत
सामना संवाददाता / मुंबई
हाईकोर्ट ने एक वित्तीय विवाद मामले की सुनवाई के दौरान मुंबई पुलिस को लताड़ लगाई है। कोर्ट ने पुलिस से कहा कि अपने पावर का इस्तेमाल करते हुए किसी के घर देर रात दस्तक नहीं दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को कानून के मुताबिक कार्य करना चाहिए। अदालत ने देर रात एक शख्स के घर में जानेवाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने जोन ११ के डीसीपी को समता नगर पुलिस स्टेशन से जुड़े ६ पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार सप्ताह में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, जस्टिस रेवती मोहिते ढेरे व जस्टिस गौरी गोडसे की बेंच ने कांदिवली के ठाकुर विलेज निवासी भूषण भावसार की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है। याचिका के मुताबिक, पैसे के लेन-देन से जुड़े विवाद को लेकर २९ मार्च २०२३ को रात १२ बजे के बाद पुलिसकर्मी उनके घर पर आए थे। याचिका के मुताबिक, ऋचा अग्रवाल नामक महिला के इशारे पर पुलिस आई थी। उनके और अग्रवाल के बीच वित्तीय विवाद है। सादे कपड़े में उनके घर आए पुलिसकर्मियों ने विवाद को सुलझाने के लिए उन्हें धमकाया और दबाव बनाया था। उन्हें अग्रवाल से बात करने के लिए भी कहा गया। याचिकाकर्ता ने अपने दावों की पुष्टि के लिए सीसीटीवी फुटेज भी पेश किया था। उल्लेखनीय है कि सीसीटीवी फुटेज व उसकी ट्रांसक्रिप्ट पर गौर करने के बाद बेंच ने सोमवार को पुलिस के काम के तौर-तरीके को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। बेंच ने कहा था कि पुलिस कानून के हिसाब से काम करे। बेंच ने नॉर्थ रीजन के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राजीव जैन को कोर्ट में तलब किया था। कोर्ट के निर्देश के तहत अतिरिक्त पुलिस आयुक्त जैन कोर्ट में उपस्थित हुए।
सरकारी वकील की दलील
सरकारी वकील अरुणा पई ने कहा कि पेट्रोलिंग में तैनात पुलिसकर्मियों को डायल १०० पर फोन आया था। इसमें याचिकाकर्ता के बारे में कोई जानकारी न मिल पाने की शिकायत की गई थी। पुलिस उनका पता लगाने के लिए गई थी। पुलिस का कोई गलत इरादा नहीं था। पुलिसकर्मी बिल्डिंग के वॉचमैन के साथ गए थे। हालांकि, बेंच ने सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद कहा कि इस मामले में कुछ संदिग्ध होने के संकेत मिल रहे हैं। लिहाजा, डीसीपी इस मामले की जांच करें। अब अगले माह इस याचिका पर सुनवाई होगी।