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कैप्सूल रोबोट करेगा बीमारियों को छूमंतर! ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने बनाया कैमरे और सेंसर से लैस उपकरण

सामना संवाददाता / मुंबई
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है, जिसकी मदद से कई बीमारियां छूमंतर हो जाएंगी। उन्होंने इतने छोटे आकार का रोबोट बना लिया है, जिसका आकार फली जितना है। वैज्ञानिकों ने वैâमरे और सेंसर से लैस इस वैâप्सूल रोबोट को रखा है, जो एकदम हू-बहू मकड़ी की तरह दिखाई देता है। यह इंसान के शरीर के भीतर जाकर बीमारी की तह तक पहुंचेगा, वहीं उसका इलाज भी कर सकता है।
ब्रिटेन की लीड्स यूनिवर्सिटी में रोबोटिक्स विभाग में प्रोफेसर पिएत्रो वाल्डास्ट्री ने २० अलग-अलग नैनो रोबोट तैयार किए हैं। इनमें वैâमरे और सेंसर लगे हैं। यहां तक कि कुछ नैनो रोबोट में रेडियो ट्रांसमीटर और रिसीवर भी हैं, ताकि सर्जन देख सकें कि शरीर के अंदर क्या हो रहा है और सर्जन इस रोबोट को आदेश दे सकें। प्रोफेसर पिएत्रो वाल्डास्ट्री के मुताबिक, यह उपकरण कोलोन यानी बड़ी आंत के सबसे बड़े और लंबे हिस्से में जाकर बीमारी का पता लगाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि यह कम जगह में भी चलने में सक्षम है। साथ ही आसानी से निगला जा सकने वाला यह उपकरण आंत के अंदर से ३६० डिग्री का व्यू भी देगा।
कोलोनोस्कोपी को किया जा रहा दर्दमुक्त
इस रोबोट को कोलोनोस्कोपी को दर्दमुक्त निवारण करने के मकसद से डिजाइन किया गया है, जहां असामान्यताओं की जांच के लिए वैâमरे के साथ एक ट्यूब को कोलन में डाला जाता है, जो दर्दनाक होता है। एक कोलोनोस्कोपी में ४५ मिनट लगते हैं और रोगी को बेहोश करना पड़ता है। वैâप्सूल रोबोट से दर्द रहित इलाज होगा और रोगी को बेहोश नहीं करना पड़ेगा।
डिजाइन तैयार करने में लगे १५ साल
इस डिजाइन को तैयार करने में १५ साल लगे हैं। रोबोट प्रति सेकंड शरीर का १५० बार चक्कर लगा सकता है, जो लगभग ६ फीट के इंसान के ६४३ किमी प्रति घंटे से अधिक की गति जितना है। वैज्ञानिकों ने चूहों के मूत्राशय में स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन से पहले से लोड किए गए हजारों माइक्रोरोबोट तैनात किए। परीक्षणों से पता चला कि वे मूत्राशय की दीवार से जुड़ने और अपनी जगह पर बने रहने में सक्षम थे और फिर दवा पहुंचाते थे, जिससे क्षेत्र में प्रतिरक्षा कोशिकाओं को सफलतापूर्वक सक्रिय किया जाता था।
बिना तार का उपकरण
वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए इस उपकरण की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें अन्य उपकरणों की तरह तार नहीं लगे हैं। यह कोलोनस्कोपी, धमनियों में ब्लॉकेज की जांच से लेकर अन्य चिकित्सकीय परीक्षण में भी अहम भूमिका निभा सकता है।

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