मुख्यपृष्ठनए समाचारसीसीटीवी कैमरा बेअसर, कम नहीं हुआ भ्रष्टाचार ...६६ प्रतिशत कंपनियों को देनी...

सीसीटीवी कैमरा बेअसर, कम नहीं हुआ भ्रष्टाचार …६६ प्रतिशत कंपनियों को देनी पड़ती है घूस

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। भ्रष्ट सरकारी मशीनरी अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कंपनियों और उद्यमियों से अवैध तरीके से पैसे उगाहने में लगी हैं। एक सर्वे में दावा किया गया है कि सीसीटीवी कैमरा लगाने से सरकारी कार्यालयों में रिश्वत लेना बंद नहीं हुआ है। सर्वे में कहा गया है कि करीब६६ प्रतिशत कंपनियों को सरकारी सेवाओं का लाभ लेने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। कंपनियों ने दावा किया कि उन्होंने सप्लायर क्वॉलिफिकेशन, कोटेशन, ऑर्डर प्राप्त करने तथा भुगतान के लिए रिश्वत दी है। रिपोर्ट के अनुसार, कुल रिश्वत का ७५ प्रतिशत कानूनी, माप-तौल, खाद्य, दवा, स्वास्थ्य आदि सरकारी विभागों के अधिकारियों को दी गई। कई कारोबारियों ने जीएसटी अधिकारियों, प्रदूषण विभाग, नगर निगम और बिजली विभाग को रिश्वत देने की भी सूचना दी है। पिछले १२ महीनों में जिन कंपनियों ने रिश्वत दी, उनमें से ५४ प्रतिशत को ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि ४६ प्रतिशत ने समय पर काम पूरा करने के लिए भुगतान किया। इस तरह की रिश्वत जबरन वसूली के बराबर है। सरकारी एजेंसियों के साथ काम करते समय कंपनियों के काम जानबूझकर रोके जाते हैं और रिश्वत लेने के बाद ही फाइल को मंजूरी दी जाती है। सीसीटीवी वैâमरा लगाने से सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है। सर्वे में दावा किया गया है कि सीसीटीवी से दूर, बंद दरवाजों के पीछे रिश्वत दी जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, सरकारी ई-प्रोक्योरमेंट मार्वेâट प्लेस जैसी पहल भ्रष्टाचार को कम करने के लिए अच्छे कदम हैं, लेकिन सरकारी विभागों में रिश्वत लेने के रास्ते खुले हुए हैं। सर्वे में १८,००० कारोबारियों के जवाब को शामिल किया गया है। सर्वे देश के १५९ जिलोें में हुआ है।

अन्य समाचार