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केंद्र ने १५ लाख ई-वाहनों पर किया छूट का वादा… सब्सिडी नाममात्र पर आई

  • प्रदूषण नियंत्रण पर दोहरी नीति
  • महंगाई में ‘राहत’ पर झटका
  • जब आंकड़ा बमुश्किल पहुंचा आधा

देश में बढ़ती महंगाई और प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़े जोर-शोर से ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकिल) को बढ़ावा देने का ढिंढोरा पीटा था। लोगों को आकर्षित करने के लिए इन वाहनों पर सब्सिडी देने की घोषणा भी की गई थी। इससे लग तो यही रहा था कि सरकार वाकई ईवी के प्रति गंभीर है। सरकार ने १५ लाख ई-वाहनों पर छूट देने का वादा किया था, पर अब जब यह आंकड़ा बमुश्किल आधा ही पहुंच पाया है, सरकार ने सब्सिडी घटाकर नाममात्र की कर दी है। इससे आम आदमी को महंगाई में ‘राहत’ देने के प्रयास को झटका लगा है।
पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त अप्रैल २०१९ में सरकार ने फेम-२ की घोषणा की थी। इसके तहत फरवरी २०२३ तक सरकार को १५ लाख ई-वाहनों पर सब्सिडी देनी थी, पर तब तक इसका आधा भी लक्ष्य पूरा नहीं हुआ था। इसके बाद सरकार ने इस लक्ष्य को एक साल के लिए बढ़ा दिया। असल में सरकार की गलत नीतियों के कारण आम आदमी अब ईवी में रुचि नहीं दिखा रहा है। ये गाड़ियां पेट्रोल-डीजल और सीएनजी का विकल्प बनकर उभरी हैं। पर इन गाड़ियों के मुकाबले ईवी की कीमतें काफी ज्यादा हैं। इसीलिए सरकार ने लोगों को आकर्षित करने के लिए सब्सिडी की घोषणा की थी।
मगर सरकार की गलत नीतियों की वजह से इन वाहनों की बिक्री में वैसी तेजी नहीं देखी गई जितनी आंकी गई थी। अब सरकार ने ईवी व्यापार को शॉक दे दिया है। सरकार ने ईवी वाहनों पर ‘फेम-२’ के तहत दी जानेवाली छूट को घटा दिया है। इसके तहत १५,००० रुपए प्रति किलोवॉट प्रति घंटा से घटाकर इसे १०,००० रुपए कर दिया है। इसके अलावा एक्स पैâक्ट्री मूल्य की अधिकतम ४० फीसदी की छूट को भी घटाकर १५ फीसदी कर दिया गया है। ऐसे में प्रदूषण और महंगाई से निजात देने के लिए ईवी के जरिए जो ‘राहत’ अभियान शुरू किया गया था, उसे झटका लगा है। देखा जाए तो यह प्रदूषण नीति पर सरकार के दोहरे रवैये को दर्शाती है। सरकार ने सबसे पहले कारों पर दी जानेवाली सब्सिडी को घटाकर आधा कर दिया था। बाद में गत वर्ष उसे भी बंद कर दिया। ऐसे में शुरू में इसका लाभ अमीर वर्ग ने ले लिया, पर जब आम आदमी ने इसकी ओर रुख किया तो सरकार ने सब्सिडी ही बंद कर दी। ऐसे में आम आदमी ऐसी महंगी कार क्यों खरीदे? लगता है इस मामले में सरकार खुद कन्फ्यूज है। उसकी हरकतों से यही लगता है कि वह ईवी को प्रमोट नहीं करना चाहती और दूसरी तरफ पेट्रोल-डीजल की गाड़ियों को बंद करना भी नहीं चाहती। जहां तक ई-बाइक का सवाल है तो अधिकांश ई-बाइक पर बैंक लोन नहीं देते। ऐसे में लोगों को या तो पूरा पैसा भरना पड़ता है या फिर निजी वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेना पड़ता है, जो काफी महंगा होता है। बैंक में २४ फीसदी ब्याज दर होती है, जबकि एनबीएफसी में यह ३६ फीसदी होता है। यही वजह है कि अब लोग ई-बाइक में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे।
एंट्री के लिए बेकरार टेस्ला
हिंदुस्थानी ईवी बाजार में एंट्री के लिए अमेरिकी कंपनी टेस्ला काफी समय से प्रयासरत है। पहले वह सरकार पर दबाव डाल रही थी कि वह इंपोर्ट ड्यूटी ५० फीसदी कर दे। पर जब सरकार नहीं मानी तो उसने हिंदुस्थान में ही कारखाना लगाने का प्रस्ताव पेश किया है। माना जा रहा है कि टेस्ला के हिंदुस्थानी बाजार में एंट्री के बाद प्रतिस्पर्धा काफी तेज हो जाएगी।
मोदी के चुनावी वादे
जब भी चुनाव करीब आता है, पीएम मोदी सरकार जनता को लुभाने के लिए लोकलुभावन वादे करती है। ई-वाहनों पर सब्सिडी देने का वादा ऐसा ही एक चुनावी वादा था। अब जबकि २०२४ की तैयारियां शुरू हो गई हैं तो एक बार फिर से रसोई गैस पर सब्सिडी देने की बात शुरू हो गई है।
चुपके से बंद की गैस पर सब्सिडी
घरेलू रसोई गैस पर पहले सब्सिडी मिलती थी। इससे आम आदमी को काफी राहत मिलती थी। फिर मोदी सरकार ने सिलिंडरों के दाम बढ़ाने शुरू कर दिए और चुपके से सब्सिडी देनी भी बंद कर दी। अब ये सब्सिडी सीधे बैंक अकाउंट में आती थी। इसलिए लोगों को काफी देर में पता चला कि सब्सिडी नहीं आ रही है। ऐसे में आम गृहिणियों ने केंद्र के प्रति काफी नाराजगी प्रकट की।

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