मुख्यपृष्ठस्तंभध्यान दे केंद्र सरकार बढ़ी प्रदूषण की रफ्तार!

ध्यान दे केंद्र सरकार बढ़ी प्रदूषण की रफ्तार!

योगेश कुमार सोनी
वर्ष २०२२ के लिए जारी आंकड़ों के आधार पर हमारा देश दुनिया का आठवां सबसे प्रदूषित देश माना गया है। इसके अलावा विश्व के ५० सबसे प्रदूषित शहरों में यदि ७८ फीसदी भारत के हैं, तो यह चिंता का विषय है। ज्ञात हो कि २ अक्टूबर २०१४ को बहुत ही जोर-शोर से `स्वच्छ भारत मिशन’ लांच किया गया था और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक स्वच्छता को जनांदोलन बनाने का आह्वान किया था। बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज को इस अभियान से जोड़ा गया था, ताकि देशव्यापी जागरूकता लाई जा सके। कुछ समय के लिए इस व्यवस्था को लेकर गर्मी बनी भी थी लेकिन समय के साथ सब फीका पड़ने लगा। एक समय यह भी था कि एक सांसद को एक गांव भी गोद दिया गया था, इससे यह तो तय हो रहा था कि हम हर स्तर पर प्रयासरत हैं लेकिन आज की स्थिति यह है कि शहर हो या गांव, गंदगी मुक्त नहीं हुए हैं। इस अभियान में सेलिब्रिटीज तक को शामिल कर जागरूकता लाने की जिम्मेदारी दी गई थी? स्वच्छता अभियान से जुड़े सरकारी महकमे व अफसर प्रारंभ में बेहद जागरूक दिखे लेकिन बाद में उनकी कार्यशैली भी शून्य दिखी? प्रदूषण बढ़ने से दिमाग में कई तरह के सवाल पैदा होते हैं, जिनके जवाब तलाशे बिना स्वच्छता अभियान व हरित मिशन को सफल नहीं बनाया जा सकता है। इस बार वित्त वर्ष २०२३ के लिए आम बजट में `स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण’ के लिए सात हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि आवंटित की गई है। २०१४ के बाद से हर बजट में `स्वच्छ भारत मिशन’ के लिए बजट आवंटित किया गया है। आंकडों के अनुसार, बीते ८ वर्षों में लगभग ५० हजार करोड़ रुपए स्वच्छता मिशन के लिए आवंटित किए गए, इसके बावजूद अगर भारत स्वच्छ नहीं हुआ है तो इस आधार पर यह लगता है कि यह पैसा आखिर कहां जा रहा है? क्या इसमें कोई बड़ा घोटाला तो नहीं हो रहा। २ अक्टूबर, २०२२ तक देश को स्वच्छ नहीं बनाया जा सका है, तो साफ है कि सरकार के जिम्मेदार लोगों ने इस मिशन को गंभीरता से नहीं लिया है। जनता का जुड़ाव भी नहीं हो सका है। बीते दिनों हवा में प्रदूषण की जांच करने वाली स्विस एजेंसी आईक्यू ने वर्ल्ड एयर क्वॉलिटी रिपोर्ट जारी की है, इसमें १३१ देशों का डेटा ३०,००० से अधिक ग्राउंड बेस मॉनिटरों से लिया गया है। इस रिपोर्ट में दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित २० शहरों में १९ एशिया के हैं, जिनमें १४ भारतीय शहर हैं। एक शहर अप्रâीकी देश का है। उद्योग व वाहन से निकलने वाले जहरीले धुएं के अलावा भी वायु प्रदूषण के और भी कारण हैं लेकिन उसमें एक स्थानीय गंदगी भी है, जो हवा को दूषित करती है। इनमें ज्यादातर शहर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हैं। रिपोर्ट में दक्षिण एशिया को वायु प्रदूषण का केंद्र बताया गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर विश्व बैंक ने प्रदूषण में कटौती करने के लिए आने वाले खर्च का एनालिसिस किया है। इसके लिए २.६ अरब डॉलर खर्च करने होंगे। रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण के चलते भारत को १५० बिलियन डॉलर के नुकसान का अनुमान है। भारत में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक परिवहन सेक्टर है, जो कुल प्रदूषण का २०-३५ फीसदी प्रदूषण करता है। भारत क्लाइमेट करार का हिस्सा भी है, इसलिए तापमान में कटौती के ग्लोबल लक्ष्य में शामिल है। इस आधार पर यह कहा जाता है कि यदि हम समय के साथ नहीं सुधरे तो आने वाले समय में स्थिति और भी बदतर हो जाएगी इसलिए आवश्यकता है कि देश को मिलकर स्वच्छ बनाएं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक मामलों के जानकार हैं।)

अन्य समाचार