• ‘हवाला’ के जरिए भेजी जा रही है मदद की राशि
• आतंकियों को हर महीने मिल रही रु. २० हजार सैलरी
नागमणि पांडेय / मुंबई
कट्टरवाद और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के कारण देश भर में कुख्यात हो चुके प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को दूसरे देशों से होनेवाली फंडिंग पर लगाम लगाने का प्रयास केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं लेकिन फंडिंग बंद नहीं हुई है। ‘हवाला’ के जरिए दुबई, अबु धाबी, कतर, कुवैत, यमन से आतंकी गतिविधियों के लिए रसद उपलब्ध कराने का सिलसिला जारी है। दुबई से मिलनेवाले कोड वर्ड का इस्तेमाल रिसीवर पैसे लेने के लिए कर रहे हैं। इस पैसे का इस्तेमाल पीएफआई आतंकियों को २० हजार रुपए महीना सैलरी देने के लिए कर रहा है। ये सब केंद्र और पंजाब सरकार के खुफिया तंत्र की नाकामी के कारण धडल्ले से हो रहा है। पुलिस और जांच एजेंसियों के खुफिया तंत्र की नाकामी के लिए सरकारों को अदालत की फटकार भी सुननी पड़ रही है। ऐसा ही कुछ खालिस्तान समर्थक अमृतपाल के मामले में हाल ही में देखने को मिला, जब ८० हजार पुलिसकर्मियों को अमृतपाल चकमा देकर निकल गया।
बता दें कि पीएफआई की आतंकी गतिविधियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने उस पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इसके साथ ही दूसरे देशों से चंदे के नाम पर आनेवाली फंडिंग पर पाबंदी लगी दी गई थी। इसके बावजूद छुपे तौर पर पीएफआई द्वारा हवाला के माध्यम से पैसे जमा करना शुरू है। इसके लिए सऊदी अरब, दुबई, अबु धाबी, कतर, कुवैत, यमन से मिलने वाले कोड वर्ड से हवाला कारोबारी यहां के रिसीवर को हवाला के जरिए रकम उपलब्ध करा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि एक बार १० करोड़ की रकम हासिल करने के लिए कोड था कि ‘दुबई से जो १० किलो इमरती आई है, वह खानी है।’ कोड मैच होने पर हवाला की रकम रिसीवर को मिल गई।
पीएफआई के १९ लोगों को बना चुके हैं आरोपी
बता दें कि एनआईए ने सितंबर २०२२ में देशभर में ३९ जगहों पर छापेमारी के बाद विभिन्न आरोपियों को पकड़ा था। एनआईए ने पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई करते हुए टेरर फंडिंग के इस्तेमाल ७७ बैंक खातों को अभी तक सीज किया है। इनमें से ३७ बैंक खाते पीएफआई के एक्टिव सदस्य के थे। इसकी एनआईए ने स्पेशल एनआईए कोर्ट के समक्ष दायर की गई ५वीं चार्जशीट में दी है। ७७ बैंक खाते असम, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, केरल, तमिलनाडु, दिल्ली, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना में इन ७७ बैंक खातों पर कार्रवाई की गई। इसमें पीएफआई के १९ लोगों को आरोपी बनाया गया है।
मुस्लिम युवकों को कर रहे गुमराह
चार्जशीट में कहा गया है कि पीएफआई देश के मुस्लिम युवाओं को गुमराह कर न केवल उन्हें आतंकी प्रशिक्षण देकर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए उकसा रहा था, बल्कि उन्हें २० हजार रुपए तक मासिक वेतन भी दे रहा है। ताकि आतंकी संगठन के प्रति वफादार रहे। सूत्रों के अनुसार खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर एनआईए ने कर्नाटक और केरल में इसी हवाला नेटवर्क को ट्रेस किया। एजेंसी ने इस नेटवर्क से पैसा पीएफआई तक पहुंचाने वाले आतंकी इकबाल कादर, अब्दुल रफीक बयारी, सरफराज, आबिद और सिमन को गिरफ्तार भी किया। पर जिन लोगों के माध्यम से पैसा ट्रांसफर कराया गया उनमें से ज्यादातर को जानकारी ही नहीं थी। सूत्रों के अनुसार हवाला नेटवर्क से जब रकम पीएफआई रिसीवर तक पहुंचती है तो उसे सुरक्षित तरीके से संबंधित लोगों तक पहुंचाने का काम शुरू होता है। पहले फंड पहुंचाने वाले व्यक्ति के नाम, बैंक खातों के नंबर और आईएफएससी कोड जुटाए जाते हैं। जांच एजेंसियों को धोखा देने के लिए आतंकी लोगों की जानकारी हासिल करने के बाद १० से २० ऐसे गरीब लोगों को चुनते हैं, जिनके बैंक खाते हों। इनको मामूली कमीशन देकर हवाला का पैसा थोड़ा-थोड़ा उन खातों में जमा करने के बाद तय लोगों के खाते में ट्रांसफर किया जाता है।
फंड जुटाने के लिए टेलीग्राम का हो रहा इस्तेमाल
सूत्रों का कहना है कि पीएफआई के सदस्य टेररफंड जुटाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म टेलीग्राम का इस्तेमाल करते हैं। वे इससे दूसरे देशों में मौजूद सदस्यों से पैसे मांगते हैं। इसके बाद उक्त इस्लामिक देशों से हवाला के जरिए पैसे भारत भेजे जाते हैं। फंड रिसीवर को एक स्पेशल कोड सोशल मीडिया प्लेटफार्म या डार्क वेब के माध्यम से भेजा जाता है। साथ ही रिसीवर को बताया जाता है कि उसे कब और कहां से रकम हासिल करनी है।