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चांद ने फिर दिया चकमा! …अबकी बार निजी लैंडर हुआ फेल

लगता है चांद ने जिद ठान ली है कि वह पृथ्वी वासियों की घुसपैठ को सहन नहीं करेगा। इसी का नतीजा है कि चांद पर अबकी बार एक निजी कंपनी का लैंडर फेल हो गया। लैंडिंग करते वक्त वह व्रैâश हो गया। इसके पहले पिछली बार इसरो का लैंडर भी व्रैâश हो गया था। जापान की एक कंपनी ने बुधवार तड़के चंद्रमा पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने की कोशिश की थी, लेकिन मून लैंडर से उसका संपर्क टूट गया। अगर कंपनी को चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने में सफलता मिल जाती तो आइस्पेस ऐसा करनेवाली पहली निजी कंपनी होती। अब तक केवल रूस, अमेरिका और चीन को चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान उतारने में सफलता मिल पाई है।
आईस्पेस के संस्थापक और सीईओ ताकेशी हाकामादा ने संपर्क टूटने के बाद भी उम्मीद बरकरार रखी क्योंकि लैंडर ३३ फीट (१० मीटर) नीचे उतरा था। हाकामादा ने कहा कि वे अगले साल फिर से कोशिश करेंगे। जापान से पहले इजरायल की एक गैर-लाभकारी संस्था ने २०१९ में चंद्रमा पर उतरने की कोशिश की थी, लेकिन उसका अंतरिक्ष यान नष्ट हो गया था। नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के निदेशक लॉरी लेशिन ने ट्वीट किया, ‘यदि अंतरिक्ष कठिन है तो लैंडिंग कठिन है। मैं व्यक्तिगत अनुभव से जानता हूं कि यह कितना भयानक लगता है।’ लेशिन ने नासा के मार्स पोलर लैंडर पर काम किया था, जो १९९९ में लाल ग्रह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

लैंडर ने २१ मार्च को चंद्रमा की कक्षा में किया प्रवेश
७ फुट (२.३ मीटर) जापानी लैंडर संयुक्त अरब अमीरात के लिए एक मिनी चंद्र रोवर और जापान से एक खिलौना जैसा रोबोट ले गया था, जिसे लगभग १० दिनों के लिए चंद्रमा की धूल में घूमने के लिए डिजाइन किया गया था। जापानी कंपनी के अंतरिक्ष यान ने दिसंबर में चंद्रमा का एक लंबा, गोल चक्कर लगाते हुए रास्ते में पृथ्वी की तस्वीरें ली थीं। लैंडर ने २१ मार्च को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। उड़ान नियंत्रक यह पता लगाने में सफल हुए कि लैंडर सीधा था, क्योंकि उसने अपने थ्रस्टर्स का इस्तेमाल किया था।

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