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घर आए चंदामामा के चचेरे भाई! १,५०० साल तक रहेंगे साथ-साथ

  • नासा ने खोजा पृथ्वी का दूसरा चांद

सामना संवाददाता / मुंबई
बचपन में हम सभी ने चंदा मामा की रोचक कहानियां सुनी हैं। चंदा को `मामा’ इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है और दिन-रात उसके साथ एक भाई की तरह रहता है। अब चूंकि धरती को हम `मां’ कहते हैं इसलिए उनके भाई हमारे मामा हुए। लेकिन अब लगता है चंदा मामा के `अंतरिक्ष’ रूपी घर पर उनके चचेरे भाई भी आ गए हैं। दरअसल, नासा ने पृथ्वी पर दूसरा चांद खोज निकाला है, जो चंद्रमा के साथ तकरीबन ३,७०० सालों तक रहनेवाला है। यह चौंकानेवाला खुलासा एक नई स्टडी में किया गया है। यह चांद क्वासी-मून यानी अर्ध-चंद्रमा है। क्वासी-मून एक स्पेस रॉक (एस्टेरॉयड) होता है, जो पृथ्वी और सूर्य दोनों का चक्कर लगाता है लेकिन सूर्य के गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटी) से बंधा हुआ होता है। आसान शब्दों में कहें तो सूर्य स्पेस रॉक को अपनी तरफ खींचता है।
गौरतलब है कि नए चांद की पहली झलक २८ मार्च, २०२३ को देखने को मिली थी। तब वैज्ञानिकों ने इसे पैनस्टार्स टेलिस्कोप से देखा था। इसके बाद से इस पर वैज्ञानिकों ने अध्ययन शुरू कर दिया। अब जाकर इसकी पुष्टि हुई है। इसका नाम इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के माइनर प्लैनेट सेंटर की सूची में दर्ज किया गया है। अध्ययन में पता चला है कि ये पृथ्वी और सूर्य दोनों का ही चक्कर लगाता है। हालांकि, सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के चलते ये सूर्य की ओर खिंचा रहता है।
कैसा होगा नया चंद्रमा
नासा के मुताबिक, क्वासी मून एक तरह का स्पेस रॉक है। इसका डायमीटर (व्यास) ३०-५० फीट हो सकता है। ये हमारे चंद्रमा के व्यास का एक छोटा सा अंश है। ये २,१०० साल से पृथ्वी के आसपास ही मौजूद था और अब इसकी पहचान हुई है। ये अगले १,५०० साल यानी एडी ३,७०० तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। इसके बाद ये पृथ्वी की कक्षा छोड़ देगा। इससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं होगा। नासा के अनुसार, क्वासी-मून को क्वासी-सैटेलाइट भी कहा जाता है। ये चंद्रमा की तरह ही पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। हालांकि, पृथ्वी की जगह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बंधे होते हैं इसलिए इन्हें क्वासी कहा गया है। वहीं चांद पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बंधा होता है।
आठ सौ रहस्यमयी घटनाएं हुईं, नासा ने पैनल का गठन किया
एक तरफ नए चांद की खोज हुई है तो दूसरी ओर यूएओ की जांच कर रहे नासा के एक पैनल ने लगभग ८०० रहस्यमयी घटनाएं दर्ज की हैं। इन घटनाओं को यूएपी माना जाता है, जिन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विमान या ज्ञात प्राकृतिक घटनाओं के रूप में नहीं पहचाना जा सकता। यह पैनल इस साल एक रिपोर्ट जारी करेगा।

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