मुख्यपृष्ठटॉप समाचारआज चंद्रयान की परीक्षा! नए ऑपरेशन से गुजरेगा स्पेसक्राफ्ट, दूरी कम करने...

आज चंद्रयान की परीक्षा! नए ऑपरेशन से गुजरेगा स्पेसक्राफ्ट, दूरी कम करने का प्रयास करेगा इसरो

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
भारतीय चंद्रयान-३ अंतरिक्ष में लगातार गति करते हुए धीरे-धीरे चांद की चौखट के पास पहुंच रहा है। चंद्रयान-३ के लिए आज का दिन बहुत ही खास रहनेवाला है। दरअसल, यह एक बड़े ऑपरेशन से गुजरेगा। भारतीय अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रमा की सतह से चंद्रयान-३ की दूरी १०० किमी तक कम करने के लिए मन्यूवर (सावधानी से किसी चीज को मैनेज करने की प्रक्रिया) करेगा। इस मन्यूवर को ऑर्बिट सर्वुâलराइजेशन के नाम से जाना जाता है। इसमें अंतरिक्ष यान के इंजनों का इस्तेमाल करके इसे एक निश्चित तरीके से धकेला जाता है, जिससे इसका रास्ता ज्यादा सर्वुâलर हो जाता है। इसके बाद स्पेसक्राफ्ट सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तैयारी करेगा।
गौरतलब है कि इसी साल १४ जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया चंद्रयान-३ लगातार अपने टारगेट की ओर आगे बढ़ रहा है। ५ अगस्त को चंद्र कक्षा में प्रवेश करने के बाद स्पेसक्रॉफ्ट ऑर्बिट में घूम रहा है, जिससे धीरे-धीरे चंद्रमा से इसकी दूरी कम हो रही है। इसरो का लक्ष्य २३ अगस्त को निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग करके लैंडर और रोवर को चंद्रमा के साउथ पोल पर स्थापित करना है। ऐसा माना जा रहा है कि इससे महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी। रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
लैंडिंग के लिए चाहिए कंट्रोल
बता दें कि लैंडर के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने और स्पेसक्राफ्ट के ऑर्बिट में १०० किर्मी े ३० किमी पहुंचने के बाद सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होती है। लैंडर लगभग ३० किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा की सतह तक जाने के लिए अपने थ्रस्टर्स का इस्तेमाल करता है। इसकी सुरक्षित लैंडिंग के लिए सटीक नियंत्रण और नेविगेशन की जरूरत होती है।
बढ़ती तकनीकी
क्षमताओं का प्रदर्शन
चंद्रयान-३ का मिशन न केवल स्पेस में भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करना है, बल्कि इसका मकसद महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोजें करना भी है। इस मिशन की सफलता भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगी तथा चंद्र और अन्य ग्रहों के लिए नए रास्ते खोलेगी।

अन्य समाचार

विराट आउट

आपके तारे