दिल्ली में ‘जी-२०’ का मोदी उत्सव मनाया जा रहा है। अमेरिका के अध्यक्ष जो बाइडेन से लेकर दक्षिण अफ्रिका के रामाफोसा तक लगभग बीसों देशों के राष्ट्र प्रमुखों का स्वागत मोदी ने किया। हम वैश्विक महाशक्ति बन रहे हैं, ऐसी हवा मोदी और उनके प्रचारक फैला रहे हैं। लेकिन छह राज्यों के सात विधानसभा उपचुनावों के नतीजों ने यह ‘हवा’ निकाल दी है। विश्व में महाशक्ति और स्वदेश में राजनैतिक शक्तिपात यह वस्तुस्थिति स्पष्ट हो गई है। सात विधानसभा उपचुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन को चार तो वहीं मोदी प्रणित एनडीए को तीन सीटें मिली हैं। इन तीन में से दो सीटें त्रिपुरा राज्य की हैं। २७ दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन का यह यूनिट टेस्ट था, और इस टेस्ट में वह उत्तीर्ण हो गया है। उत्तर प्रदेश (घोसी), उत्तराखंड (बागेश्वर), झारखंड (डुमरी), पं. बंगाल (धूपगुड़ी), धतपुर, बॉक्सानगर (त्रिपुरा), केरल (पुथुपल्ली) इन सीटों पर चुनाव हुए। त्रिपुरा उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है। इसलिए तीन सीटें उन्होंने जीतीं। उत्तर प्रदेश की घोसी की सीट पर भाजपा में शामिल हुए विधायक दारासिंह चौहान ने इस्तीफा दिया था और वहां चुनाव हुआ। घोसी जीतने के लिए खुद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ, उनके दो उपमुख्यमंत्री, दर्जनभर मंत्री, सौ से अधिक विधायक चुनाव क्षेत्र में ही जमकर बैठ गए थे। सत्ता और पैसों का इस्तेमाल हुआ। इसके बावजूद घोसी के मतदाताओं ने भाजपा वासी बने दारासिंह चौहान को शर्मनाक रूप से पराजित किया। वहां ‘सपा’ के सुधाकर सिंह ने भारी जीत हासिल की। घोसी में धार्मिक तनाव का निर्माण किया गया, अप्रत्यक्ष रूप से धार्मिक मुद्दा खड़ा करके लोगों को भड़काया गया, लेकिन मतदाताओं ने एक नहीं सुनी और सपा उम्मीदवार को विजयी बनाया। घोसी में तोड़-फोड़ की राजनीति का खात्मा कर दिया। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का यह ‘क्लाइमेट चेंज’ अर्थात हवा बदलने का यह एक उदाहरण है। इस अकेले राज्य में ८० सीटें हैं। अयोध्या का राम मंदिर, लव जिहाद जैसे धार्मिक मुद्दे भाजपा द्वारा प्रचार के दौरान लाए जाते हैं। मुस्लिम-दलितों के खिलाफ द्वेष पैâलाकर चुनाव में वोट मांगे जाते हैं। लेकिन घोसी के मतदाताओं ने इन सभी हथकंडों को ठुकरा दिया। सत्ता पक्ष ने चुनाव से ठीक पहले ‘इंडिया’ पर चौकड़ी मार कर ‘भारत’ का नारा दिया। इसके बावजूद घोसी में ‘इंडिया’ की ही जीत हुई। एकता में बल होता है और वह घोसी की जीत ने साबित कर दिखाया। उत्तर प्रदेश में इस बार कोई बड़ा चमत्कार होगा, ऐसा माहौल है। सपा, कांग्रेस एकत्र हैं। मायावती अंत तक दल-दल में फंसी हुई हैं। ईडी, सीबीआई के संचालक किसकी सरकार आनेवाली है, इसका अनुमान लगाकर तब निर्णय लेंगे। लेकिन कोई कितनी भी अवरोधक नीति अपना लें, इस बार उत्तर प्रदेश में भाजपा को तगड़ा झटका लगेगा। पं. बंगाल की धूपगुड़ी सीट पर तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई, परंतु भाजपा को मिले वोट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। झारखंड के डुमरी चुनाव क्षेत्र में झारखंड मुक्ति मोर्चा विजयी रही। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को केंद्र सरकार बहुत ज्यादा तकलीफें दे रही है। ईडी, सीबीआई के माध्यम से श्री सोरेन को तकलीफें देना भले जारी हो, लेकिन झारखंड के मुख्यमंत्री झुके नहीं, यह महत्वपूर्ण बात है। अब झारखंड का विधानसभा उपचुनाव हेमंत सोरेन ने जीत लिया है। केरल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओमान चांडी के देहांत से रिक्त हुई पुथुपल्ली विधानसभा उपचुनाव में उनके बेटे चांडी ओमान ने जीत हासिल की है। केरल में कांग्रेस का ही बोलबाला है यह चांडी ओमान की जीत से दिखाई दे रहा है। भाजपा ने जिन तीन सीटों पर जीत हासिल की है, उनमें दो सीटें अकेले त्रिपुरा की हैं। एक उत्तराखंड की। राष्ट्रीय राजनीति की दृष्टि से यह छोटे राज्य हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश, झारखंड, केरल, पं. बंगाल का यह रुझान दर्शाता है कि देश की हवा किस दिशा में बह रही है। दिल्ली में ‘जी-२०’ का दरबार सजा हुआ है। मोदी की लोकप्रियता विश्व स्तर पर बढ़ गई है, यह सब ठीक है, लेकिन यहां स्वदेश में उनकी लोकप्रियता नीचे फिसलती जा रही है, यह चुनाव के नतीजों से स्पष्ट हो गया है। चार महीने पहले पुणे के कसबा में भाजपा के गढ़ को ‘इंडिया’ गठबंधन की कांग्रेस ने जीता था। महाराष्ट्र में पुणे और चंद्रपुर ये दो लोकसभा रिक्त हैं। लेकिन यहां चुनाव कराने की हिम्मत भाजपा प्रयोजित चुनाव आयोग में नहीं है। क्योंकि लोगों में प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ गुस्सा है। नौ साल की धोखाधड़ी और लुच्चापन देश की नाक में दम करनेवाले साबित हुए। अब लोग और धोखा खाने को तैयार नहीं हैं। सात उपचुनाव के नतीजों ने स्पष्ट कर दिया है कि देश की हवा किस दिशा में बह रही है। आज हवा बह रही है। आनेवाले तूफान की यह शुरुआत है।