यात्रियों का सवाल, कब सुधरेगी रेल व्यवस्था?
अभिषेक पाठक
मुंबई से उत्तर भारत की तरफ जाने वाली ट्रेनें अकसर भरी हुई नजर आती हैं। इन ट्रेनों में इतनी भीड़ होती है कि इनमें सरसों रखने की भी जगह नहीं होती है। अकäसर ये ट्रेनें समाचार या अख़बारों की सुर्खियां बनती रहती हैं, लेकिन अब यही स्थिति कोकण जाने वाली ट्रेनों में भी देखी जा रही है। कोकण जाने वाली ट्रेनों में क्षमता से अधिक यात्रियों की भीड़ होती है। गणेशोत्सव के मौके पर कोकण जाने वाली ट्रेनों का आरक्षण शुरू हो गया है और हर बार की तरह इस बार भी यात्रियों को आरक्षित टिकट पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।आरक्षण शुरू होने के एक मिनट के भीतर ही सीट फुल हो जाती है। अगर यात्रियों ने वेटिंग लिस्ट का टिकट लिया तो ठीक, वरना उसकी भी सूची समाप्त हो जाती है। ऐसे में यात्रियों के पास पछताने का अलावा और कोई चारा नहीं बचता है। मंगलवार को सीएसएमटी से कोकण जाने वाली कोकण-कन्या एक्सप्रेस का रिजर्वेशन खुलते ही एक मिनट में ही सीट फुल हो गई और देखते ही देखते वेटिंग लिस्ट ५०० के पार पहुंच गई। इस बात से यात्री नाराज हो गए और यात्री टिकट आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप लगाने लगे।
टिकट केंद्रों पर रात से ही लग रहीं कतारें
इस साल गणेश चतुर्थी ७ सितंबर को है और मुंबई में रहनेवाले कोकण के निवासी अपने पैतृक गांव जाने के लिए टिकट की बुकिंग करा रहे हैं। भारतीय रेलवे में नियमित ट्रेनों के लिए टिकट आरक्षण ट्रेन प्रस्थान के १२० दिन से शुरू होता है। इसलिए १ सितंबर को मुंबई से कोकण जाने वाली ट्रेनों के लिए टिकट ४ मई से मिलना शुरू हो गया है। गणेश चतुर्थी से तीन दिन पहले यानी ४ सितंबर को कोकण वासियों में टिकट लेने की काफी आपाधापी मची रही। इसके लिए यात्री टिकट केंद्रों पर रात से ही कतार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है। ४ सितंबर का आरक्षण ७ मई की सुबह ८ बजे जैसे ही शुरू हुआ, मात्र १ मिनट के बाद ही कोकण-कन्या एक्सप्रेस की प्रतीक्षा सूची ५८० को पार कर गई। इसके बाद कोकण जाने वाली अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों की बुकिंग में भी यात्रियों को ‘रिग्रेट’ नजर आने लगा।
वंदे भारत-जनशताब्दी का है इंतजार
जनशताब्दी एक्सप्रेस द्वितीय श्रेणी की वेटिंग लिस्ट ४ सितंबर को ‘रिग्रेट’ दिखा रही थी। इसके अलावा कोचुवेली एक्सप्रेस के स्लीपर, सेकंड एसी, थर्ड एसी कोचों की वेटिंग लिस्ट ‘रिग्रेट’ थी, तो वंदे भारत के वातानुकूलित चेयर कार कोच की प्रतीक्षा सूची १६८ थी। आने वाले दिनों में ७ सितंबर की बुकिंग खुलने का इंतजार किया जा रहा है, जिसमें वंदे भारत की बुकिंग का इंतजार है।
फर्जी खातों द्वारा टिकट आरक्षण
पिछले साल गणेशोत्सव के लिए टिकट लेते समय कोकण-कन्या एक्सप्रेस की वेटिंग लिस्ट महज डेढ़ मिनट में ही फुल हो गई थी। इसके बाद यात्रियों को संदेह हुआ कि टिकट आरक्षण में गड़बड़ी हुई है। जांच के बाद पता चला कि कई टिकट आरक्षण खाते फर्जी थे, जिन्हे मध्य रेलवे द्वारा ब्लॉक कर दिया गया था।
सीटों के साथ वेटिंग भी फुल
मुंबई से रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग के लिए ट्रेनों का आरक्षण ७ मई से शुरू हुआ। ७ मई सुबह ८ बजे से अगले १२० दिन यानी ४ सितंबर तक टिकट बुक कर सकते हैं। हालांकि, सुबह ८ बजे जब टिकट बुकिंग शुरू हुई तो कोकण जाने वाली महत्वपूर्ण ट्रेनों की प्रतीक्षा सूची की क्षमता कुछ ही मिनटों में खत्म हो गई, जिसके बाद हर ट्रेन की वेटिंग लिस्ट सूची नजर आने लगी।
दलालों से इनकार नहीं
भले ही कितनी बार दलाल मुक्त रेलवे का दावा रेल मंत्रालय करे, लेकिन सच्चाई यही है कि आज भी रेलवे दलाल मुक्त नहीं हुई है। दलालों पर अंकुश लगाने के लिए रेलवे कितने भी प्रयास कर ले, लेकिन टिकट बुकिंग को लेकर दलाल हमेशा से ही हावी रहते हैं। जब लोगों को ऑनलाइन या फिर विंडो से टिकट नहीं मिलता है तो लोग मजबूरी में दलालों से टिकट खरीदते हैं। जो टिकट रेलवे देने से इनकार कर देती है उसी टिकट को दलाल मुंहमांगी कीमत में बेचकर हजारों-लाखों रुपए कमाते हैं। सवाल उठता है कि आखिर विंडो ओपन होने के एक मिनट के बाद ट्रेन वैâसे फुल हो जाती है, अगर वेटिंग टिकट नहीं लिया तो वह भी नहीं मिलता है। इस सवाल का जवाब आम आदमी से पूछो तो वो यही कहेगा कि सब दलालों द्वारा किया जाता है।
स्पेशल ट्रेनों के भी नहीं मिल रहे टिकट
पिछले कुछ दिनों से हम बुकिंग का इंतजार कर रहे थे, लेकिन बुकिंग खुलने के साथ ही वेटिंग लिस्ट वाली स्थिति आ जाती है, हम मजबूरी में भी कुछ नहीं कर पाते हैं। साथ ही स्पेशल ट्रेन के भी टिकट नहीं मिल रहे हैं। तो ऐसे में हमारे पास अब बस से जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।
ओम चव्हाण, मुंबई
कब होगा समस्या का समाधान?
कोकण जाने वाले यात्रियों को इस स्थिति से हर साल गुजरना पड़ता है। सरकार इस समस्या का उचित निवारण क्यों नहीं करती है? जैसे-जैसे गणेशोत्सव करीब आएगा, दलाल मनचाहे दाम पर टिकट बेचना शुरू कर देंगे।
सुमित नायक, मुंबई
पहले दलालों का नेटवर्क खत्म हो
यह कोई पहली बार नहीं है, हर बार यही स्थिति रहती है। हम अपना कार्य छोड़कर टिकट लेने के लिए रातभर लाइन लगाते हैं और सुबह पता चलता है कि ट्रेन फुल हो गई है, और वहीं टिकट दलाल कई गुना दाम पर टिकट बेचता है। दलाल के पास वह टिकट वैâसे आया, इस बात की जांच रेलवे को करनी चाहिए। जब तक दलालों का नेटवर्क समाप्त नहीं होगा, तब तक टिकटों के लिए ऐसी ही परेशानी चलती रहेगी।
प्रथमेश झा, मुंबई