-विधि व न्याय विभाग ने दी चेतावनी
-इलाज से मना किया तो कार्रवाई
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य सरकार से बिजली, पानी, जमीन जैसी कई रियायतें लेकर भी गरीब मरीजों के मुफ्त इलाज से मना करने वाले पांच सितारा चैरिटी अस्पताल विधि व न्याय विभाग के रडार पर आ गए हैं। साथ ही विभाग ने ऐसे अस्पतालों पर भी गाज भी गिरानी शुरू कर दी है। इसी क्रम में मुंबई के दो अस्पतालों समेत राज्य के कुल ११ अस्पतालों की जांच की गई। विभाग ने साफ शब्दों में चेतावनी दे दी है कि चैरिटी अस्पताल गरीब मरीजों का इलाज करने से कतई इनकार न करें, अन्यथा उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में लगभग ४६८ चैरिटी अस्पताल हैं। इन अस्पतालों को सरकार द्वारा विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इसके बदले में प्रत्येक चैरिटी अस्पताल को गरीब और कमजोर वर्ग के मरीजों का मुफ्त इलाज करने के लिए कुल बेड का दस-दस प्रतिशत बेड आरक्षित करना होता है। इनके लिए प्रदेश में करीब १२ हजार बेड आरक्षित किए गए हैं। राज्य के सभी चैरिटी अस्पतालों का नियंत्रण विधि व न्याय विभाग द्वारा किया जाता है। इस विभाग के अंतर्गत राज्यस्तरीय विशेष चिकित्सा सहायता प्रकोष्ठ की स्थापना की गई है। चैरिटी अस्पतालों के २० प्रतिशत आरक्षित बेड क्या गरीबों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं और यहां रियायती या मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है अथवा नहीं इस पर प्रकोष्ठ नजर रख रहा है।
अस्पतालों से मिल रहा असहयोग
विधि व न्याय विभाग ने मुफ्त इलाज से इनकार करने पर कार्रवाई के लिए तीन सदस्यीय निरीक्षण टीम का गठन किया गया है। यह टीम अस्पताल में जाकर जांच करती है। जांच में किसी तरह की गड़बड़ी मिलने पर संबंधित अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं थाने में एफआईआर भी दर्ज कराया जाएगा।
अस्पतालों पर गाज गिरने की संभावना
सूत्रों के मुताबिक, विधि व न्याय विभाग के विशेष सहायता प्रकोष्ठ ने गरीब मरीजों का इलाज करने से इनकार करनेवाले अस्पतालों की जांच शुरू कर दी है। इसके तहत राज्य के नौ और मुंबई के दो चैरिटेबल अस्पतालों का निरीक्षण किया गया है। इसकी रिपोर्ट तैयार करने का काम चल रहा है। ऐसे संकेत हैं कि इन अस्पतालों पर भी कार्रवाई की गाज गिर सकती है।