सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य की ‘घाती’ सरकार की लापरवाही के चलते ही सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले पर स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज की ३५ फुट ऊंची प्रतिमा गिर गई थी। सरकार की लापरवाही के चलते प्रतिमा के ढांचे में जंग लग गया था और गलत वेल्डिंग से ढांचा कमजोर हो गया था। यही वजह थी कि वह प्रतिमा मात्र कुछ ही महीनों में ढह गई। यह आरोप विपक्ष ने लगाया था, विपक्ष के आरोपों को जांच समिति की रिपोर्ट ने बल दिया है। रिपोर्ट में प्रतिमा गिरने के पीछे का मुख्य कारण गलत वेल्डिंग और जंग लगने की समस्या बताई गई है। १६ पन्नों की जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि प्रतिमा पर जंग लग गई थी और इसके कमजोर प्रâेम के कारण यह घटना हुई।
प्रतिमा के नट और बोल्ट समुद्री हवाओं और बारिश के कारण जंग खा चुके थे, जिससे प्रतिमा के स्टील फ्रेम की स्थिरता प्रभावित हुई। वरिष्ठ इंजीनियर अमरेश कुमार ने बताया कि प्रतिमा के नींव देनेवाले हिस्से, जो पूरे ढांचे का भार सहन करते हैं, डिजाइन के समय उचित ध्यान न देने के कारण कमजोर हो गए। समुद्र किनारे तेज हवाओं के कारण छत्रपति शिवाजी महाराज की यह प्रतिमा ढह गई। यह प्रतिमा भारतीय नौसेना द्वारा बनाई गई थी और इसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग नौ महीने पहले किया था। अधिकारियों का दावा है कि ४५ किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बहनेवाली हवाएं इस घटना का कारण बनीं। हालांकि, भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार, किसी भी संरचना को तीन गुना अधिक हवा की गति का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया था। वरिष्ठ इंजीनियर और पीडब्ल्यूडी रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना का मुख्य कारण बाहरी जलवायु परिस्थितियों के बजाय जंग लगा ढांचा और गलत वेल्डिंग था।