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चीफ जस्टिस डॉ. धनंजय चंद्रचूड सेवानिवृत्त …आखिरी दिन भी विधायकों की अयोग्यता और पक्ष चोरी का नहीं किया फैसला! …नए मुख्य न्यायाधीश पर टिकीं निगाहें

सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना और राकांपा के नाम और चुनाव चिह्न की चोरी के साथ ही गद्दार विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले में मुख्य न्यायाधीश डॉ. धनंजय चंद्रचूड़ फैसला देंगे। इस तरह की आशा महाराष्ट्र के लोगों ने लगाई थी, लेकिन शुक्रवार को कार्यकाल के आखिरी दिन भी डॉ. चंद्रचूड़ ने शिवसेना और राकांंपा की याचिका पर फैसला नहीं सुनाया। नतीजतन महाराष्ट्र के सुपुत्र महाराष्ट्र को न्याय देंगे इस आशा पर पानी फिर गया। ऐसे में अब पूरे महाराष्ट्र की नजर इस बात पर है कि नए मुख्य न्यायाधीश इन मामलों में क्या भूमिका निभाएंगे।
महाविकास आघाड़ी सरकार जब सत्ता में थी, तब शिवसेना से गद्दारी करके घाती गुट बाहर चला गया। सत्ता की चाहत में गद्दारी करने वाले इस गुट ने आगे चलकर पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न भी चुरा लिया लेकिन विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने गद्दार विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया, बल्कि चुनाव आयोग ने गद्दारों को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न सौंप दिया। इन दोनों मामलों में गैरकानूनी पैâसलों को चुनौती देते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। वरिष्ठ नेता शरद पवार की पार्टी राकांपा ने भी पार्टी और चुनाव चिह्न को लेकर अलग से याचिका दायर की है। इन याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश डॉ. धनंजय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने विस्तृत सुनवाई की थी। शिवसेना ने अपने दावों की पुष्टि करते हुए तमाम दस्तावेज भी पेश किए थे। उस पृष्ठभूमि में डॉ. चंद्रचूड़ मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हो रहे थे।

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