दूसरों से अपने बच्चों की न करें तुलना
बच्चों के व्यवहार पर दें ध्यान
सामना संवाददाता / मुंबई
१२वीं बोर्ड का रिजल्ट घोषित हो चुका है। इसके साथ ही राज्य के कई नेट सेंटरों पर बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों की भी भीड़ उमड़ पड़ी। बच्चों के शैक्षणिक वर्ष में १०वीं और १२वीं बोर्ड के नतीजे महत्वपूर्ण होते हैं। इसीलिए पूरे साल पढ़ाई करने के बाद भी परीक्षा में संतोषजनक मार्क्स नहीं मिलने पर बच्चे परेशान दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में बच्चों को कई माता-पिता उनसे नाराज होकर उन्हें उलाहना देने लगते हैं। चिकित्सकों के मुताबिक, असल में यही वह पल होता है, जब बच्चों से प्यार से बात करने की ज्यादा जरूरत होती है, क्योंकि अंक कम मिलने से बच्चे अतिवादी कदम उठा सकते हैं। इसके साथ ही कुछ बच्चे डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं इसलिए माता-पिता ही अपने बच्चों को डिप्रेशन में जाने से बचा सकते हैं। इसके लिए बच्चों के व्यवहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि मार्क्स कम आने पर माता-पिता नाराज होंगे, रिश्तेदार क्या कहेंगे, मां की मार्क्स की उम्मीद हम पूरी नहीं कर पाए, इस तरह के कई ख्याल बच्चों के मन में आते हैं। साथ ही वे सोचते हैं कि अगर दोस्तों को अच्छे अंक मिलेंगे तो कॉलोनी, बिल्डिंग के अन्य लोग चर्चा करेंगे। लेकिन इस तरह के दिमाग पर प्रतिकूल प्रभाव डालनेवाले ख्यालों से बचाने के लिए माता-पिता को ही अपने बच्चों को समझाना होगा कि वे इसकी परवाह न करें कि लोग क्या कहते हैं। साथ ही बच्चों को बताएं कि हम अंकों से संतुष्ट हैं। इससे उनके दिमाग पर दबाव थोड़ा कम हो जाएगा। ठाणे मेंटल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नेताजी मुलिक ने कहा कि अंक कम मिलने पर बच्चों के अंदर भय पैदा हो जाता है, क्योंकि आगे की पढ़ाई के लिए अपेक्षित अंक नहीं मिलेंगे इसलिए जब बच्चे तनावग्रस्त हों तो उनसे प्यार से बात करें। आपके प्यार के दो शब्द भी बच्चों को डिप्रेशन से बाहर निकाल सकते है।
बच्चों के समूह में अन्य बच्चों को कितने अंक मिले, उसे इतने अंक वैâसे मिले और आपको अंक कम वैâसे मिले, इस पर बच्चों से चर्चा न करें। इससे बच्चों को लगेगा कि आप उनकी तुलना दूसरे बच्चों से कर रहे हैं, जिसका असर उनके दिमाग पर पड़ेगा।
साथ रहने का करें प्रयास
रिजल्ट आने के बाद अभिभावकों को अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। तनाव दूर करने के लिए वे बच्चे के साथ गेम या फिल्में भी देख सकते हैं। परिणाम घोषित होने के बाद बच्चे के व्यवहार में आए बदलाव पर भी ध्यान दें। माता-पिता की उपेक्षा का बच्चों पर बुरा असर पड़ता है और वे गलत कदम उठा सकते हैं इसलिए जहां तक हो सके बच्चे के लिए इन अंकों की ओर से ध्यान भटकाने की कोशिश करें।
…तो मनोचिकित्सक से मिलें
चिकित्सकों के मुताबिक, यदि आपने सब कुछ करने की कोशिश की है, लेकिन आपका बच्चा अभी भी महसूस करता है कि वह मेल-जोल नहीं कर सकता है। इसके साथ ही वह जिन चीजों का आनंद लेता था वो अब नहीं हैं। वह दोस्तों से भी दूर हो जाता है इसलिए इसे गंभीरता से लें। ये डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं, ऐसी स्थिति में जल्द ही किसी मनोचिकित्सक से मिलें।