राधेश्याम सिंह / वसई
वसई तालुका की खस्ताहाल सड़कों पर बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था से हो रही यात्रियों को परेशानी कोई नई बात नहीं है। नया है तो विभागीय उदासीनता से नई-नई परेशानियों का बढ़ना, पहले सिर्फ सामान्य यात्री ही यातायात समस्याओं का सामना कर रहे थे। अब इस समस्या से स्कूल जाने वाले नन्हे-मुन्ने बच्चे भी दो-चार हो रहे हैं। वहीं यातायात पुलिस की कार्रवाई पर नजर डालें तो एक वर्ष में यातायात विभाग कार्रवाई के नाम पर फिसड्डी साबित हुआ है। शिकायत मिलने पर दिखावटी कार्रवाई कर दी जाती है। अगले दिन स्थिति जस की तस हो जाती है। नागरिकों का आरोप है कि विभागीय कार्रवाई समस्याओं के समाधान के लिए नहीं, बल्कि अपने फायदे के लिए की जाती है। तालुका में वैध रिक्शा चलाने वालों का कहना है कि तीन यात्रियों को बैठाना हो या फिर पांच यात्रियों को, पुलिस वालों को उतना ही हफ्ता देना पड़ता है। ऐसे में तीन सवारी ही बैठाकर कोई अपना नुकसान क्यों करे। तालुका में फर्जी रिक्शा वाले ही सुखी हैं, उनको न पासिंग का टेंशन है न किसी विभागीय कागजों की जांच का डर, सब नियम कायदे तो हम वैध तरीके से रिक्शा चलाने वालों पर ही लागू होते हैं, हम करें भी तो क्या करें।
`पांच से छह लोगों को बैठाने से कभी भी कोई हादसा हो सकता है। ज्यादा लोड होने के कारण रिक्शा पलटने का डर बना रहता है। इस प्रकार के कई हादसे पहले भी देखे गए हैं। यहां की यातायात व्यवस्था ट्रैफिक विभाग के भरोसे नहीं, बल्कि भगवान भरोसे है।’
-संगीता इंद्रजीत, स्थानीय महिला यात्री
`वसई-विरार में यातायात की समस्या ट्रैफिक पुलिस की निष्क्रियता और कमजोर इच्छाशक्ति का परिणाम है। रिक्शा चालक सवारियों की सुरक्षा को ताक पर रखकर ट्रैफिक पुलिस के सामने ५ सवारी बैठाते हैं, फिर भी ट्रैफिक पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है। जनता को हो रही इन सभी समस्याओं को नजरअंदाज करना दुर्भाग्यपूर्ण है।’
-रिक्शा चालक
`यातायात नियमों को तोड़ने वालों के खिलाफ यातायात पुलिस हर दिन कार्रवाई कर रही है। रिक्शा चालकों, टैंकर चालकों व अन्य वाहनों पर ट्रैफिक पुलिस विभाग की तरफ से कार्रवाई की जा रही है और आगे भी कार्रवाई करना जारी रहेगा।’
विनोद जाधव (सहायक पुलिस निरीक्षक), ट्रैफिक विभाग