• अमेरिका आया हिंदुस्थान के साथ
• रूस ने साधी चुप्पी
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
विस्तारवादी चीन एलएसी व आसपास के क्षेत्रों में हिंदुस्थान के खिलाफ खुराफातें करने से बाज नहीं आ रहा है। गलवान, तवांग आदि इलाकों में घुसपैठ के प्रयासों के बाद अब ड्रैगन अरुणाचल प्रदेश में शरारत करने लगा है। चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की ११ जगहों के नाम बदल दिए हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि चीन, अक्साई चिन को लेकर हिंदुस्थान पर दबाव बनाने के लिए अरुणाचल में खुराफात कर रहा है। चीन की इस हिमाकत पर भारत सरकार बगलें झांकती नजर आ रही है। हालांकि अमेरिका ने इसका विरोध किया है जबकि हिंदुस्थान का परंपरागत मित्र माना जानेवाला रूस चुप्पी साधे बैठा है।
बता दें कि चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के हिंदुस्थानी गांवों का नाम बदलकर उन्हें अपना क्षेत्र दिखाने का प्रयास किया है। पिछले ५ वर्षों में चीन ने ऐसा तीसरी बार किया है। इसके पहले २०२१ में चीन ने १५ जगहों और २०१७ में ६ जगहों के नाम बदले थे। लेकिन चिंता की बात ये है कि इस बार चीन ने कुछ ज्यादा ही आक्रामकता दिखाते हुए अरुणाचल की राजधानी ईटानगर के आसपास के इलाकों का नाम भी बदल दिया है। चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ के मुताबिक, सोमवार को चीन की सिविल अफेयर मिनिस्ट्री ने ११ नाम बदले जाने को मंजूरी दे दी। यह सभी इलाके जेंगनेन (चीन के दक्षिण राज्य शिजियांग का हिस्सा) में आते हैं। इनमें से ४ रिहायशी इलाके हैं। इनमें से एक इलाका अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के बेहद करीब है। ५ पहाड़ी क्षेत्र और दो नदियां हैं। चीन ने इन इलाकों के नाम मन्दारिन और तिब्बती भाषा में रखे हैं।
अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत बताता है ड्रैगन
गौरतलब हो कि चीन अरुणाचल को ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा बताते हुए उस पर अपना दावा करता रहा है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया है। चीन की इस हरकत के लिए कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली केंद्र की कमजोर सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
अक्साई चिन पर भी है विवाद
चीन, हिंदुस्थान सहित अपने अन्य पड़ोसी देशों की जमीन हड़पने का प्रयास लगातार करता रहा है। हिंदुस्थान के लद्दाख, सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश के काफी बड़े हिस्से पर चीन अपना दावा ठोंकता रहा है। माना जाता है कि खासतौर पर अक्साई चिन को तिब्बत की तर्ज पर निगलने की मंशा के तहत ड्रैगन हिंदुस्थान पर दबाव बनाने के लिए ऐसा करता रहा है। गौरतलब हो कि दोनों देशों में ३,४८८ किलोमीटर लंबी एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) को लेकर विवाद है। हालांकि, चीन अरुणाचल प्रदेश वाले हिस्से को भी विवादित मानता है। चीन का दावा है कि अरुणाचल पारंपरिक तौर पर दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, वहीं भारत अक्साई चिन इलाके को अपना बताता है। १९६२ के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया था।
अमेरिका का है ये कहना
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सोमवार को मीडिया से कहा था कि ताजा वैश्विक हालातों में चीन की तरफ से दुनिया पर धौंस जमाई जा रही है। उन्होंने चीन पर निशाना साधते हुए भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर कहा था, ‘शांति और समृद्धि के लिए जरूरी स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए भारत और अमेरिका को साथ मिलकर नेतृत्व करने की जरूरत होगी और हमें अभी भी बहुत काम करना है, लेकिन मुझे विश्वास है कि यूएस-इंडिया साझेदारी इंडो-पैसिफिक और पूरी दुनिया के लिए एक खुले और समृद्ध भविष्य के निर्माण में मदद करेगी।’ उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका को अपने नेतृत्व से विश्व का समृद्ध भविष्य सुरक्षित करना है।
कांग्रेस ने साधा केंद्र पर निशाना
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कांग्रेस की तरफ से जारी बयान में कहा है कि पीएम मोदी ने जून २०२० में चीन को क्लीन चिट दे दी थी। अब हमें उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। चीन की सेना देसपांग के मैदान में भारत के पेट्रोलिंग के अधिकारों को खारिज कर रही है, जबकि पहले इस इलाके में बिना रोक-टोक भारत की पहुंच थी।