मुख्यपृष्ठनए समाचारसिंध में घुसी चीनी सेना! ... हिंदुस्थान का बढ़ा सिरदर्द

सिंध में घुसी चीनी सेना! … हिंदुस्थान का बढ़ा सिरदर्द

-निजी सुरक्षा रक्षकों के वेश में है उपस्थित
-चीनी नागरिकों की सुरक्षा का है बहाना
-सिंध के कई प्रोजेक्ट्स में १० हजार चीनी मौजूद

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हाल के दिनों में बढ़ते विरोध प्रदर्शन और हिंसक घटनाएं न केवल वहां के आंतरिक हालात को उजागर कर रही हैं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और हिंदुस्थान की सुरक्षा के लिए भी नए सवाल खड़े कर रही हैं। इसी बीच वहां चीनी सेना की एंट्री हो चुकी है, जो हिंदुस्थान का सिरदर्द बढ़ानेवाला है।
खबरों के अनुसार, चीनी नागरिकों पर हमलों के बाद चीनी निजी सुरक्षा कंपनियों की तैनाती ने स्थिति को और जटिल कर दिया है। जानकारों का मानना है कि कहने को ये निजी सुरक्षा कंपनियों के रक्षक हैं, पर असल में ये चीनी सैनिक हैं। यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का सिंध प्रांत एक बड़े संकट में फंसता जा रहा है। एक तरफ वहां पाक सेना की भूमिका बढ़ रही है तो दूसरी ओर वहां मौजूद १० हजार चीनी नागरिकों की सुरक्षा के बहाने चीनी निजी सुरक्षा कंपनियां इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं। इससे पता चलता है कि चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग बढ़ रहा है। भारत के लिए यह एक खतरे की घंटी है, क्योंकि चीनी सेना के भारतीय सीमा के पास तैनात होने का भी अंदेशा पैदा हो रहा है।

चीनियों पर हमले
सिंध में हालिया प्रदर्शनों की मुख्य वजह सिंधु नदी के पानी के बंटवारे में भेदभाव और कथित तौर पर पंजाब प्रांत को प्राथमिकता देना रहा है। इन आंदोलनों के कारण वहां चीनी नागरिकों पर हमले हुए हैं, जिनमें कई लोग मारे गए हैं।

मालवाहक ट्रक फंसे
सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट्स के अनुसार, इन प्रदर्शनों ने इतना उग्र रूप ले लिया कि ७००० से अधिक मालवाहक ट्रक फंस गए और प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सेना के वाहनों पर भी हमला किया। यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि यह कदम चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग का संकेत है।

मार्च में समझौता
चीन ने इस साल मार्च में पहली बार एक समझौते के तहत सिंध प्रांत में अपने निजी सुरक्षाकर्मियों को भेजा है। यह चीन की तरफ से विदेशों में अपनी सुरक्षा उपस्थिति को बढ़ाने के विषय में एक बड़ा कदम है। यह कदम चीनी नागरिकों पर बढ़ते हमलों के बाद उठाया गया है। इससे पता चलता है कि चीन अपने रणनीतिक हितों की रक्षा करने के लिए सीधे तौर पर आगे आ रहा है।

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