मुख्यपृष्ठविश्वचीनी नागरिक पर ईशनिंदा का आरोप : पाकिस्तान में फंसा ड्रैगन!

चीनी नागरिक पर ईशनिंदा का आरोप : पाकिस्तान में फंसा ड्रैगन!

• १९४७ से अब तक पाक में ८९ लोग ईशनिंदा के हुए शिकार
• २०२१ में श्रीलंकाई नागरिक को जला दिया था जिंदा

एजेंसी / इस्लामाबाद
चीन ने करीब ६० अरब डॉलर पाकिस्तान में (चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) पर खर्च करने का प्लान बनाया है। कई साल से यह प्रोजेक्ट चल रहा है और अब तक इस पर करीब ४० अरब डॉलर खर्च भी हो चुके हैं। इतनी बड़ी रकम खर्च कर रहा ड्रैगन पाकिस्तान में फंस गया है। पाकिस्तानी मजदूर चीनी नागरिकों को अपना निशाना बना रहे हैं। पिछले साल चीनी इंजीनियरों को दासू डैम प्रोजेक्ट साइट पर ले जा रही बस को उड़ा दिया था। इसमें ९ इंजीनियरों समेत कुल १३ लोग मारे गए थे। इसके बाद पिछले ही साल कराची यूनिवर्सिटी में चीन की महिला प्रोफेसरों की वैन पर महिला फिदायीन ने हमला किया था। इसमें ६ लोग मारे गए थे। इनमें से ५ चीनी थे। पेशावर और क्वेटा में चीनी अफसरों पर ४ हमले हुए। कुल ७ चीनी मारे गए। चीन की दिक्कत इसलिए बढ़ गई कि आतंकी संगठन टीटीपी ने हाथ मिला लिया है। अब चीनियों पर खतरा कई गुना बढ़ गया है।
चीनी नागरिकों के रिहायशी कैंप को घेरा
पाकिस्तान में अब एक चीन के नागरिक पर ईशनिंदा का आरोप लगा है। गुस्साए लोगों ने कोहिस्तान में चीनी नागरिकों के रिहायशी वैंâप को घेर लिया। ऐन मौके पर पुलिस पहुंची और चीन के सभी नागरिकों को बमुश्किल बचाया। रिपोर्ट के अनुसार, जिस शख्स पर ईशनिंदा का आरोप लगा है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। तीन दिसंबर २०२१ को सियालकोट में श्रीलंका की एक पैâक्ट्री मैनेजर को भीड़ ने पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। बाद में उसे पैâक्ट्री से खींचकर लाया गया और जिंदा जला दिया। उस वक्त इमरान खान प्रधानमंत्री थे। जारी डेटा के मुताबिक, १९४७ से अब तक ८९ लोग ईशनिंदा के आरोप में मारे गए हैं।
कारोबार बंद कर दें चीन के नागरिक
पिछले महीने शाहबाज शरीफ सरकार ने पाकिस्तान में बिजनेस कर रहे चीनी नागरिकों के नाम एक एडवाइजरी जारी की थी। इसमें कहा था कि चीन के बिजनेसमैन फिलहाल, अपने कारोबार बंद कर दें। आतंकी गुट चीनी नागरिकों को ही टारगेट कर रहे हैं और सबसे ज्यादा खतरा उन्हें ही है। जापान ने पाकिस्तान में मौजूद चीनी नागरिकों और उनके कारोबार पर खतरे को लेकर एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन की है। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के तमाम आतंकी संगठन चीनी नागरिकों और उनके कारोबार या कंपनियों को ही निशाना बनाने की साजिश रच रहे हैं। इसकी वजह यह है कि बीते ५ साल में यहां उनकी ताकत और रसूख बहुत तेजी से बढ़ा है। कई जगहों पर तो वो स्थानीय लोगों से भी ज्यादा ताकतवर हैं। चीन को डर सताने लगा है कि यदि इसी प्रकार से चीनी नागरिकों को निशाना बनाया जाता रहा तो पाकिस्तान में बन रहे कॉरिडोर में लग रहा पैसा डूब जाएगा।
सिक्योरिटी एजेंसीज बना रहीं चीन पर दबाव
फरवरी में चीन की एम्बेसी ने एक बयान जारी कर पाकिस्तान में मौजूद अपने नागरिकों को सतर्क रहने को कहा था। एम्बेसी ने कहा था कि चीन के नागरिकों पर आतंकी हमले का सबसे ज्यादा खतरा है। अगर बहुत जरूरी न हो तो वो पाकिस्तान छोड़कर चीन चले जाएं। इसके बाद कराची पुलिस ने माना था कि उस पर चीन की तरफ से सिक्योरिटी देने का दबाव डाला जा रहा है। इसके बाद शाहबाज शरीफ सरकार ने चीन के नागरिकों से फिलहाल, कारोबार और दफ्तर बंद करने को कहा। एक अफसर के मुताबिक, सभी चीनी नागरिकों को सिक्योरिटी अलर्ट दिया गया है लेकिन हम हर वक्त और हर चीनी नागरिक को सुरक्षा नहीं दे सकते। अप्रैल २०२२ में चीन की महिला प्रोफेसरों की वैन पर एक महिला फिदायीन ने हमला किया था। २०२०, २०१८ और २०१७ में भी चीनी नागरिकों पर हमले हो चुके हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, अलग-अलग हमलों में अब तक २३ चीनी नागरिक पाकिस्तान में मारे जा चुके हैं।

२०२१ में मारे गए थे १० चीनी इंजीनियर
बता दें कि २०२१ में बलूचिस्तान के ग्वादर में चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चीनी इंजिनियरों के काफिले पर फिदायीन हमला हुआ था। इसमें ९ चीनी इंजीनियर मारे गए थे। पाकिस्तान की सरकार ने इस मामले में चीन को धोखा देने की कोशिश की थी। उसने कहा था कि यह रोड एक्सीडेंट है। बाद में चीन के अफसरों की एक टीम घटनास्थल पर पहुंची। इसने जांच में साफ कर दिया कि चीनी इंजीनियरों की बस पर फिदायीन हमला हुआ था और इसके सबूत बिखरे पड़े हैं।

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