सिगरेट

आ जाता है शौक सिगरेटों में
जिंदगी बुझती है, धुएं उड़ते हैं
फिक्र क्या है, बेचने वालों को,
सरकारों और दलालों को
नोटो की गड्डी गई जेब में,
रफ्फू हुए सपनों के कसीदे
हर रोज हारता है आदमी
यूं ही जिंदगी की छांव में
समझ हो तो सीख जाए ख़बर से,
ले कसम न पीने के कभी
रहे वो भी दूर इस जहर से।
-मनोज कुमार, गोंडा, उत्तर प्रदेश

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