हालात 

दौर आज का अजीब सा है,
चेहरे पर कुटिल मुस्कान और
अंतर्मन में द्वेष लिए इंसान,
शत्रुता के संग जिए जा रहा है ।
हालातों का गुलाम है मानस आज,
मज़ाक उड़ाना किसी का होता बेवकूफी,
हालात से कोई है परेशान आज तो
कल दूसरा भी लाजिमी हो सकता है ।
मीठा जो बोले कोई किसी से तो
निश्चित ही उसे कुछ काम होता है,
वर्ना तो हस्ती रही नहीं कुछ भी
नजरों में किसी की दूसरे के प्रति।
पैसा निश्चित ही जरूरत है
किन्तु व्यवहार भी है महत्वपूर्ण,
पैसा जीवन में है आधार गर तो
व्यवहार है सलीका जीने का ।

मुनीष भाटिया 
मोहाली 

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