मुख्यपृष्ठनए समाचारसिटीजन रिपोर्टर : उल्हासनगर के विकास का मजाक उड़ाता बाल उद्यान

सिटीजन रिपोर्टर : उल्हासनगर के विकास का मजाक उड़ाता बाल उद्यान

उल्हासनगर
उल्हासनगर मनपा एक छोटे से क्षेत्र में फैली है। मनपा परिसर के विकास कार्य को लेकर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जाते हैं। राजनीतिक लोग व मनपा प्रशासन योजना बनाकर अपने नाम का बोर्ड लगाकर विकास का श्रेय लेकर गायब हो जाते हैं। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर दीपक ठाकुर उल्हासनगर के बाल उद्यान की दशा और दुर्दशा को उजागर कर रहे हैं।
दीपक ठाकुर ने बताया कि उल्हासनगर में मुख्य रूप से गोल मैदान, सपना और प्रभात उद्यान हैं, जिसमें बड़े-बुजुर्गों को टहलने के अलावा बच्चों को खेलने के लिए बाल उद्यान बनाए गए हैं। बाल उद्यान में बच्चों को खेलने के लिए तरह-तरह के झूले लगाए गए हैं। आज स्थिति यह है कि अधिकांश खेल के साधन यहां टूटे पड़े हैं। उनकी मरम्मत के लिए न तो मनपा प्रशासन आगे आ रहा है और न ही कोई नेता। काफी समय से नगरसेवकों के घर में बैठने के कारण जब फंड नहीं तो कमीशन नहीं मिलेगा, तो काम कौन करे, वाली स्थिति है। विधायक को इन सबकी देख-रेख करनी चाहिए, जो वे नहीं कर रहे हैं।
उल्हासनगर में विकास केवल नाम मात्र का रह गया है। उद्यान के पेड़ पानी के अभाव में सूख रहे हैं। खेल के मैदान में कचरा पड़ा रहता है। बाल उद्यान सिर्फ नाम का उद्यान बनकर रह गया है। नगरसेवक पहले अपनी जेब से पैसा खर्च कर खुद को दानी बताते थे, लेकिन आज वे इस इंतजार में हैं कि कहीं से फंड आए और उसमें से कुछ फंड अपने लिए निकालें। इन दिनों चुनावों को देखते हुए उल्हासनगर मनपा प्रशासन की आय काफी कम हो गई है, जिसके कारण बजट की कई योजनाएं धूल खा रही है। मामला कुछ भी हो शहर के आयुक्त अजीज शेख को चाहिए कि शहर के बाल उद्यान की दशा का खुद दौरा कर उचित कार्रवाई करें।
सपना गार्डन में महिला व बाल उद्यान बनाया गया है। गोल मैदान में भी बाल उद्यान बनाया गया है। बाल उद्यान के खेल के साधन खराब हो गए हैं। उसे जल्द से जल्द बनाएं, जिससे बच्चों के जीवन में एक नई उमंग पैदा हो। उल्हासनगर जैसे शहर में बच्चों के उद्यान की दुर्दशा सामान्य लोगों के साथ ही बालकों के अधिकारों का भी कहीं न कहीं हनन कर रही है। क्या बच्चों को अपने अधिकार को प्राप्त करने के लिए आंदोलन करना होगा?

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