पश्चिम उपनगरीय दहिसर रेलवे स्टेशन विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है। रेल यात्रियों की सुख-सुविधाओं की दावा करनेवाली रेलवे को अपना व्यवसाय वैâसे बढ़े सिर्फ इसकी ही चिंता ज्यादा रहती है। रेल यात्रियों की तकलीफों की तरफ उसका ध्यान कम ही रहता है। रेल अधिकारियों को प्लेटफॉर्मों पर स्टॉल वैâसे बढ़ाए जाएं, रेलवे को ज्यादा भाड़ा वैâसे मिले इसकी चिंता ज्यादा रहती है। पश्चिमी उपनगर के उपनगरीय रेलवे स्टेशन दहिसर पर रेल यात्रियों की सुविधाओं का भारी अभाव है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर रवींद्र मिश्रा इस समस्या को प्रकाश में लाए हैं।
रवींद्र मिश्रा ने बताया कि स्टेशन मास्टर कार्यालय के उत्तरी छोर यानी विरार की ओर नए फुट ओवर ब्रिज के पहले और स्टेशन मास्टर कार्यालय तक धूप और बरसात से बचने के लिए कोई छप्पर नहीं है। लोगों की शिकायत पर बने टेंपरेरी छत को भी अब वहां से निकाल दिया गया है। प्लेटफॉर्म नंबर दो तथा तीन पर विरार छोर पर बैठने के लिए न तो पर्याप्त बेंच है और न ही गर्मी से बचने के लिए पंखे। इसी तरह स्टेशन के एक नंबर प्लेटफॉर्म पर शौचालय न होने के कारण यात्रा करनेवाले रेल यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
दहिसर स्टेशन पर स्टेशन के उत्तरी छोर यानी विरार की ओर जानेवाली जगह पर महिला तथा पुरुषों के लिए शौचालय बनाया गया था। इसकी देखभाल की जिम्मेदारी रेल प्रशासन द्वारा की जाती थी। लोकल गाड़ियों की भीड़ को कम करने के लिए जब रेलवे ने १२ डिब्बों की गाड़ियों की जगह १५ डिब्बों की गाड़ियां चलाने की योजना बनाई तब प्लेटफॉर्म को बढ़ाने की जरूरत पड़ी। रेल प्रशासन ने प्लेटफॉर्म बढ़ाना शुरू किया। विरार छोर पर प्लेटफॉर्म बढ़ाया गया। प्लेटफॉर्म बढ़ाते समय यहां रेल यात्रियों की सुविधा के लिए बनाए गए शौचालय को तोड़ दिया गया, जिससे रेल यात्रियों को परेशानी होने लगी। लोग जब स्टेशन मास्टर से शिकायत करते हैं तो वे ऊपरी अधिकारियों के हाथ का मामला बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं। दहिसर स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर शौचालय न होने की शिकायत पश्चिम रेलवे के ऊपरी अधिकारियों तक पहुंची तब इस प्लेटफॉर्म के दक्षिणी छोर यानी बोरीवली साइड में शौचालय बनाने का निर्णय लिया गया। शौचालय बनकर तैयार भी हो गया, लेकिन उसे यात्रियों की सुविधा के लिए अभी तक नहीं खोला जा सका है। इस मामले की शिकायत यदि कोई स्टेशन प्रबंधन से करता है तो वहां से जवाब आता है कि अभी तक उसका हैंड ओवर स्टेशन मास्टर कार्यालय को नहीं किया गया है। चर्चा यह भी है कि यहां ६वीं लाइन का विस्तार होनेवाला है। ऐसे में सवाल उठता है कि तब तक रेल यात्री परेशान होते रहें। अगर यहां से ६वीं लाइन का विस्तार होनेवाला ही था तो हजारों रुपए खर्च कर यहां शौचालय का निर्माण क्यों किया गया? देश की जनता के पैसे क्यों बर्बाद किए जा रहे हैं। इन बातों को लेकर रेल यात्रियों को गुस्सा तब ज्यादा आता है जब रेल प्रशासन द्वारा रेलवे स्टेशनों पर शौचालयों को साफ-सुथरा रखने का अनाउंसमेंट किया जाता है। दहिसर स्टेशन से यात्रा करनेवाले यात्रियों को शौच के लिए प्लेटफॉर्म नंबर ४ पर कार पार्किंग में बने शौचालय का सहारा लेना पड़ता है या फिर मनपा क्षेत्र में बने शौचालय को ढूंढ़ना पड़ता है।