असुविधाओं से परेशान ठाणेवासी
ठाणे
जहां एक ओर डिजीटल के इस युग में नई-नई सुविधाएं देने का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ऐसे कई इलाके हैं, जहां डिजीटल सुविधाएं तो दूर बुनियादी जरूरतों के लिए भी लोगों को तरसना पड़ रहा है। बार-बार गुहार लगाने के बाद भी लोगों की इन जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसकी वजह नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ठाणे स्टेशन पर हैलीपेड बनाने की बजाय यहां पर सुविधाएं बढ़ाई जाएं, ऐसी मांग स्थानीय लोगों ने की है।
`दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर धर्मेंद्र उपाध्याय का कहना है कि सीएसएमटी के बाद ठाणे देश का पहला रेलवे स्टेशन है, जहां लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है और सुविधाएं कम पड़ती जा रही हैं। सरकार को सुविधाएं बढ़ानी चाहिए। मुंबई लोकल के सबसे भीड़भाड़ वाले ठाणे स्टेशन की हालत बद से बदतर होती जा रही है। ठाणे से ट्रांसहार्बर, मुख्य लाइन और मेल-एक्सप्रेस जैसी कुल मिलाकर लगभग १,३०० से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं इसलिए यहां से लगभग सात लाख यात्री रोजाना यात्रा करते हैं। ऐसे में इस स्टेशन पर जरूरत से ज्यादा भीड़ हो जाती है। इस भीड़ के मुकाबले ठाणे स्टेशन पर सुविधाओं की कमी है। इन सुविधाओं को बढ़ाने की जरूरत है। रेल यात्री परिषद के सुभाष गुप्ता का कहना है कि इस स्टेशन पर होने वाली भीड़ की तुलना में सीढ़ियां और अन्य आवागमन के साधन कम हैं। कहीं एलफिंस्टन रोड की घटना की पुनरावृत्ति न हो जाए, ऐसा डर बना रहता है। सुभाष गुप्ता का कहना है कि हेलीपेड से कोई आपत्ति नहीं है। वह बने या न बने। इससे कोई मतलब नहीं है, लेकिन यात्रियों की सुविधाओं को बढ़ाना चाहिए और यह समय की मांग है। ठाणे स्टेशन की स्थिति बहुत ही नाजुक है। कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए प्लानिंग के साथ नई सुविधाएं बढ़ाने की आवश्यकता है। सिटीजन रिपोर्टर धर्मेंद्र उपाध्याय का भी यही कहना है। सुभाष गुप्ता चाहते हैं कि ठाणे स्टेशन पर आवागमन की सुविधा बोरीवली रेलवे स्टेशन की तर्ज पर हो, ब्रिज के माध्यम से सभी प्लेटफार्म एक-दूसरे से कनेक्टेड हों, ताकि लोग कहीं से भी किसी भी प्लेटफार्म पर पहुंच सकें। वहीं धर्मेंद्र उपाध्याय का कहना है कि सरकार को इस स्टेशन के विकास के लिए ज्यादा से ज्यादा फंड तुरंत उपलब्ध कराया जाए। ताकि लोगों को सुविधाएं जल्द से जल्द मिल सकें। सरकार को हेलीपेड बाद में बनवाना चाहिए, पर स्टेशन की अंदरूनी सुविधाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए।