उल्हासनगर
उल्हासनगर में गैरेज वालों के कारण यातायात व्यवस्था की ऐसी की तैसी होती जा रही है। उल्हासनगर में जितनी भी चौड़ी सड़क प्रशासक बना दें, अवैध कब्जे के चलते वह छोटी ही रहती है। यातायात अवरुद्ध होने की समस्या ज्यों की त्यों बनी ही रहती है। उल्हासनगर की सड़क के अधिकांश भागों पर व्यापारियों ने अवैध कब्जा जमा रखा है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर किशन लासी ने उल्हासनगर की जाम की समस्या को बयां किया है।
किशन लासी बताते हैं कि उल्हासनगर में काफी व्यापार सड़क पर होता है। लोग न तो पुलिस से डरते हैं और न ही मनपा के अतिक्रमण विभाग से। अवैध पार्विंâग भी सड़कों पर ही की जाती है। खेमानी, नेहरू चौक से फारवर लाइन, शांति नगर, हीराघाट, विट्ठलवाड़ी, शहाड से चोपड़ा कोर्ट, नेहरू चौक से अमन टॉकीज जाने के लिए सड़क पर बाइक-कार पार्विंâग, मार्वेâट, गैरेज बना दिया गया है। उल्हासनगर की यातायात व्यवस्था को दुर्व्यस्था में बदलने के लिए यातायात पुलिस, मनपा का अतिक्रमण विभाग तो जिम्मेदार है ही उनसे भी अधिक जवाबदर व्यापारी और नागरिक हैं। प्रशासन द्वारा दिखावटी कार्रवाई की जाती है, जिसका नतीजा यह निकलता है कि कार्रवाई का असर घंटे दो घंटे भी नहीं दिखाई देता है। कार्रवाई के कुछ घंटे बाद पहले जैसी स्थिति हो जाती है। उल्हासनगर की सड़कों को सफेद पट्टा लगाना चाहिए, जिसके अंदर लोग गाड़ियां खड़ी करें। सम-विषम संख्या के आधार पर गाड़ी खड़ी करने की व्यवस्था की तो गई है, परंतु उसका पालन नहीं किया जाता है। उल्हासनगर कानून तोड़ू नगर बनता जा रहा है। कई जगहों पर सिग्नल, बोर्ड, जेब्रा क्रॉसिंग, सीसी टीवी वैâमरा तक नहीं है, जिसके कारण उल्हासनगर में लोग बेतरतीब वाहन चलाते हुए दिखाई पड़ जाते हैं। बड़े वाहनों को समय सीमा दी गई है, जिसे वाहन चालक नहीं मानते हैं। उल्हासनगर की बिगड़ती कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए मनपा से लेकर पुलिस विभाग तक हर किसी को मुस्तैद रहने की जरूरत है।