गड्ढों में बनी सड़कें हों या सड़कों पर अधखुले चेंबरों के ढक्कन यह मुंबई की आम समस्या है। लेकिन आम दिखनेवाली समस्या बेहद जानलेवा साबित हो सकती है। उल्हासनगर में सफाई विभाग, सार्वजनिक बांधकाम विभाग की अनदेखी के चलते सड़कों के बीच बने चेंबर के ढक्कन टूटने, गायब होने, बिना ढक्कन लगाए ही ठेकेदार के द्वारा अधिकारियों से मिलीभगत कर बिल पास करवा लेने के कारण खुले चेंबर मौत को न्यौता दे रहे हैं। लेकिन लगता है कि इस खबर से उल्हासनगर मनपा प्रशासन बेखबर है, तभी तो गटर के खुले चेंबर देखने के बाद भी इस पर कोई समुचित व्यवस्था नहीं की जा रही है।
बता दें कि उल्हासनगर का सार्वजनिक विभाग तमाम अभियंता, प्रभाग समितियों के सहायक आयुक्त व उनके अधीन काम करनेवाले सैकड़ों सफाई कर्मचारियों, मुकादम, स्वच्छता निरीक्षक को क्या शहर के ये मौत के चेंबर नजर नहीं आ रहे हैं। गौरतलब है कि उल्हासनगर शहर इन दिनों केवल हफ्ता वसुली, वेतनभोगियों का नगर बन गया है। लोग अपना काम न करते हुए केवल वेतन चाहते हैं, जिसका जीता-जागता उदाहरण उल्हासनगर में मौत के ढक्कन विहीन चेंबर हैं। चेंबरों पर ढक्कन तक लगाने की सुध नहीं है। उल्हासनगर की स़ड़कों की हालत तो पहले से ही दयनीय थी, उस पर अब चेंबर से दर्जनों ढक्कन गायब हो गए हैं।
उल्हासनगर में स्वर्गीय दुनिचंद महाविद्यालय के समीप के चौक, काजल पेट्रोल पंप के सामने के चौक, शांतिनगर श्मशान भूमि के समीप से विठ्ठलवाड़ी की तरफ जानेवाले मार्ग पर, मनीष नगर के सामने, दशहरा मैदान से सेक्शन २० की तरफ जानेवाले मार्ग के चेंबर से ढक्कन नदारद हैं। इतना ही नहीं सार्वजनिक बांधकाम विभाग इतना लापरवाह है कि कोर्ट के सामने बनाए गए फुटपाथ पर बनाए गए करीब ६ चेंबरों पर ढक्कन रखे ही नहीं गए हैं।
शहाड से मनपा मुख्यालय और मनपा मुख्यालय से शहाड रेलवे स्टेशन की तरफ जाने वाले मुख्य मार्ग के चेंबर से ढक्कन गायब हैं। इन चेंबरों के गायब ढक्कनों ने अब तक दर्जनों निरपराध लोगों की जानें ले ली है। शहर में खुले चेंबरों से बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं। जिस पर मनपा प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है, लेकिन शहर की जनता को इतना संज्ञान है कि किसी की जनहानि न हो, इसके लिए सजग लोगों ने खुद ही लोग चेंबरों के ऊपर लकड़ी, उस पर कपड़ा, पेड़ की डाली आदि डाल कर रखे हैं, ताकि वाहनचालक सजग हो जाएं।