मुख्यपृष्ठनए समाचारसिटीजन रिपोर्टर : कीचड़ और पानी में फंसे उल्हासनगर निवासी

सिटीजन रिपोर्टर : कीचड़ और पानी में फंसे उल्हासनगर निवासी

उल्हासनगर
वाह रे उल्हासनगर शहर…! वाह रे प्रशासन…!! प्रशासन की अनदेखी के चलते उल्हासनगर नारकीय शहर बनता चला जा रहा है। आज उल्हासनगर की सड़कें ‘स्वच्छ उल्हासनगर, सुंदर उल्हासनगर’ की पोल खोल रही हैं। बरसाती पानी के निकलने का मार्ग बंद किए जाने, नालियों की सफाई न होने के कारण सड़क किनारे गंदे पानी और जमा हुए कीचड़ को देखा जा सकता है। यह नजारा शहर के हाई-फाई इलाके में देखा जा सकता है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर और समाजसेवक हीरो रजाई ने उल्हासनगर की बरसाती दुर्दशा का बयान किया है।
हीरो रजाई का कहना है कि उल्हासनगर में सफाई कामगार हैं। स्विपिंग मशीन है, जिससे सड़कें साफ की जाती हैं। इन मशीनों सहित कामगारों पर प्रतिमाह करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद सड़क पर कीचड़ और गंदा पानी जमा ही होता है। क्या करते हैं, ऐसी बातों पर निगरानी रखनेवाले आयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त, उपायुक्त, निरीक्षक, मुकादम?
सड़क की नाली को अवरुद्ध करनेवालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती। सालभर काम करने के बावजूद बरसात में सफाई की पोल वैâसे खुल जाती है? आज यदि देखा जाए तो बालकनजी बारी से जीरा चौक, शांति नगर के छत्रपति शिवाजी महाराज प्रवेश द्वार से आर्डिनेंस फास्ट गेट के समीप स्थित भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर तक, खेमानी, शांति नगर शमशान भूमि से विट्ठलवाड़ी रेलवे स्टेशन मार्ग, हीरा घाट मार्ग, खेमानी शहाड से १७ सेक्शन मार्ग, सपना गार्डन, खेमानी परिसर जैसी तमाम सड़कों की स्थिति दयनीय है। शहर में सीमेंट की सड़क पर भूमिगत नालियां तो बनाई गर्इं, परंतु उस नाली के लिए तोड़ी गई सीमेंट की सड़क की मरम्मत डामर से की गई है। बरसात में उसके उखड़ने से यातायात के दौरान परेशानी हो रही है। कमला नेहरू नगर की सड़क पर गड्ढे देखे जा रहे हैं। दुबे पान हाउस की सड़क भी बड़े वाहनों के चलते क्षतिग्रस्त हो गई है। उल्हासनगर वैंâप नंबर-३ ओटी सेक्शन से रामायण नगर से राधाबाई चौक तक बन रही नाली अधूरी पड़ी है। पंजाबी कॉलोनी से फरवर लाइन रोड की स्थिति भी दयनीय है। उल्हासनगर की अधिकांश सड़कें कचरे, कीचड़ और मिट्टी के चलते मौत को दावत दे रही हैं। लोगों के घरों और दुकानों में पानी भरने से बड़ी मात्रा में घरेलू सामानों सहित व्यापारिक सामानों की बर्बादी हो रही है। इस तरह की परिस्थिति से मनपा के सार्वजनिक बांधकाम व सफाई विभाग के साथ ही प्रभाग अधिकारियों की लापरवाही उजागर हो रही है। सवाल यह है कि मनपा मुख्यालय में बैठे आला अफसर क्या केवल वेतन व अन्य सुविधाओं को भोगने के लिए बैठे हैं? उल्हासनगर के जागरूक लोग मामूली बातों को लेकर मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करते हैं। उपभोक्ता न्यायालय जाते हैं, परंतु इस मामले को लेकर न्यायालय में न्याय मांगने क्यों नहीं जाते हैं?

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