विट्ठलवाड़ी
विट्ठलवाड़ीr रेलवे स्टेशन उल्हासनगर व कल्याण की सीमा पर बनाया गया है। विट्ठलवाड़ी रेलवे स्टेशन से दोनों ही शहर के लाखों लोग प्रतिदिन यात्रा करते हैं। इसके बावजूद रेल यात्री सुविधा ‘ऊंट के मुंह में जीरा समान’ है। विट्ठलवाड़ी रेलवे स्टेशन इन दिनों भंगार स्टेशन दिखने लगा है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर अमोल मिश्रा ने विट्ठलवाड़ी रेलवे स्टेशन को मध्य रेलवे के मुंबई मंडल की उपेक्षा का शिकार बताया है।
अमोल मिश्रा ने बताया कि विट्ठलवाड़ी रेलवे स्टेशन प्राकृतिक गंदगी अर्थात नाले से घिरा है। स्टेशन पर लगाया गया कूलर तो चल रहा है, परंतु उसमें से गर्म पानी निकल रहा है। स्टेशन पर चोर, नशेड़ी जैसे असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। चोर पानी की पाइप और नल तक चुरा ले जाते हैं, जिसके कारण पानी बह जाता है। पानी के अभाव में शौचालय की सफाई तक नहीं हो पाती है। इसकी वजह से स्टेशन परिसय बदबूमय बना रहता है। स्टेशन की सफाई बराबर नहीं होती है और स्टेशन पर बिना काम का अर्थात अनुपयोगी काफी सामान रखा गया है। छत पर से निकासी गटर के चबूतरे टूटे पड़े हैं। चबूतरे अभी हाल ही में बनाए गए हैं। चबूतरे का इस तरह टूटना कमीशन और घटिया काम का प्रतीक है। किए गए काम की जांच कर ठेकेदार और जिसकी देखरेख में काम किया गया है, उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए। कचरा-कुंडी स्टैंड बीच में होने के कारण लोग उससे टकरा कर घायल हो रहे हैं। बरसात का पानी प्लेटफॉर्म पर लीक हो रहा है। इसके कारण बरसात में यात्रियों को भीगते हुए खड़ा रहना पड़ता है। स्टेशन के अंदर से स्वचालित सीढ़ी होनी चाहिए, जो नहीं है। स्टेशन पर सफाई का भी अभाव है। पानी पीने के प्याऊ की सफाई नियमित नहीं हो रही है। पानी की टंकी की सफाई समय पर नहीं होती। यह सब स्टेशन की दशा बयां कर रही है और स्टेशन का कोई माई-बाप नहीं है। स्टेशन के बाहर से यात्री बेरोकटोक पान-गुटखा खाकर यहां-वहां थूक कर स्टेशन को लाल कर रहे हैं।