मुख्यपृष्ठखेलक्लीन बोल्ड : गंभीर होना कठिन है

क्लीन बोल्ड : गंभीर होना कठिन है

अमिताभ श्रीवास्तव

तमाम संदेहों और आलोचनाओं के बाद टीम इंडिया के कोच बन गए गौतम गंभीर के लिए सफर आसान नहीं होगा, यह तय है मगर गंभीर जैसा होना भी कठिन है। जब खेलते थे तब अपनी गुस्सैल प्रवृत्ति के कारण विख्यात रहे। बाद में जब आईपीएल में मेंटर जैसे पद संभाले तब भी उनकी मजबूत खेल प्रवृत्ति ने सुर्खियां बटोरी। दरअसल, गंभीर की छवि कुछ ऐसी बना दी गर्इं है, जैसे वो झगड़ालू हैं। मगर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। गंभीरता से देखेंगे तो गंभीर ने हमेशा अपने देश, अपनी टीम के लिए झगड़ा किया है, वो भी सामने वाले की गलती पर। अन्यथा इतना क्रिकेट खेला है हर बार तो वो झगड़ा करते नहीं देखे गए। गंभीर में जो सबसे अच्छी बात है वो उनका देश के लिए समर्पित होना है और टीम को किसी भी हालत में जीतना सिखाना है। अंतिम क्षणों तक हार न माननेवाली प्रवृत्ति ही आज के क्रिकेट में आवश्यक है। हालांकि, गंभीर के लिए परिस्थितियां विकट होंगी। उन्हें खिलाड़ियों का पूरा साथ मिलना चाहिए। ऐसा हुआ तो संभव है वो एक सफल कोच बनकर उभरेंगे। दुनिया खासतौर पर पाकिस्तान गंभीर के कोच बनने से डरा हुआ है। कोच की अपनी पारी में गंभीर से बहुत उम्मीदें हैं और वो सफल भी होंगे, ऐसा विश्वास है।

उसने वर्ल्डकप ही बना डाला
रोहित शर्मा के हाथों वर्ल्डकप देखकर पूरा देश झूम उठा था, बच्चे से लेकर बूढ़ों तक में जोश और उमंग का संचार हुआ था, यह उसी का नतीजा है कि एक छोटे से बालक ने विश्वकप की हू-बहू ट्रॉफी बना डाली। यह है क्रिकेट के प्रति दीवानगी। जोधपुर के प्रताप नगर में ८वीं कक्षा में पढ़नेवाले दक्ष आसेरी ने इस ऐतिहासिक खुशी के बीच अपनी खुशी का इजहार करते हुए वर्ल्डकप जैसा ही हू-बहू मॉडल तैयार किया है। इसको दूर से देखने पर एक बार तो वर्ल्डकप का ही एहसास होता है। इस बच्चे ने पहली बार ऐसा कमाल नहीं किया। इससे पहले वो अयोध्या में बने भगवान श्रीराम के मंदिर के जैसा ही हू-बहू मॉडल भी तैयार कर चुका है। इस वर्ल्डकप मॉडल को बच्चे ने अपने मोहल्ले से लेकर पूरे जोधपुर में सभी लोगों को दिखाया, तो हर कोई उनकी तारीफ करता दिखाई दिया। बच्चे का यह मॉडल ऐसा लग रहा है मानो कि यह वर्ल्डकप की डुप्लीकेट कॉपी है। बड़ी मेहनत से इस बच्चे ने इस मॉडल को तैयार कर दिखाया है।

महिला खिलाड़ियों पर तालिबानी चाबुक
यह तो होना ही था। अफगानिस्तान की ओर से तालिबानी फरमान है कि कोई भी महिला खिलाड़ी ओलिंपिक का हिस्सा नहीं बनेगी और जो विदेश में रहकर अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करती हैं उन्हें मान्यता नहीं मिलेगी। जी हां, तालिबान सरकार ने लड़कियों के खेलने पर देश में रोक लगाई है, इसलिए कोई भी महिला खिलाड़ी अफगानिस्तान की ओलिंपिक की टीम में नहीं हो सकती है। दरअसल, ३ महिलाओं और २ पुरुष खिलाड़ी अफगानिस्तान के बाहर रहते हैं। वहां सिर्फ एक जूडो खिलाड़ी ही देश में रहकर अभ्यास कर रहा है। अफगानिस्तान में महिलाओं की हालत बहुत ही खराब है। यहां पर लड़कियों की पढ़ाई-लिखाई तक पर पाबंदी है। ऐसे में खेल के मैदान पर महिलाओं की भागीदारी न के बराबर है। हालांकि, ओलिंपिक में जो भी महिला खिलाड़ी हिस्सा लेने वाली हैं वह अफगानिस्तान में नहीं रहती हैं, लेकिन उनकी नागरिकता अफगानिस्तान की है तो इसी कारण तालिबान की सरकार उन्हें ओलिंपिक में महिला खिलाड़ियों को मान्यता देने को राजी नहीं है।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)

अन्य समाचार