मुख्यपृष्ठखेलक्लीन बोल्ड : वो तलवारबाज प्रेग्नेंट है

क्लीन बोल्ड : वो तलवारबाज प्रेग्नेंट है

अमिताभ श्रीवास्तव

क्या गजब का जज्बा है, कैसी जीवटता। जहां एक ओर सातवें महीने की गर्भवती महिला को भारी कामकाज करने के लिए सावधानियां बरतनी होती है, वहीं मिस्त्र की एक लड़की ओलिंपिक की तलवारबाजी में कमाल दिखा रही थी। जी हां, मिस्र की सेबर फेंसर नाडा हाफेज सात महीने की प्रेग्नेंट होने के बावजूद पेरिस ओलिंपिक २०२४ में उतरने के बाद सुर्खियां बटोर रही हैं। २६ वर्षीया एथलीट ने महिलाओं की सेबर इंडीविजुअल कॉम्पिटिशन के राउंड १६ के लिए अपनी एबिलिटी का एलान करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट में अपनी प्रेग्नेंसी का एलान किया है। नाडा हाफेज ने अपनी पोस्ट पर लिखा, ‘पोडियम पर आपको जो दो प्लेयर दिखाई देते हैं, वे एक्चुअल में तीन थे।’ हाफेज ने इंस्टाग्राम पर कहा, `यह मैं था, मेरा कॉम्पीटिटर और मेरी दुनिया में कदम रखने वाला बच्चा, लिटिल चाइल्ड।’

दिमागी दृढ़ता
का अभाव
पेरिस ओलिंपिक में हिंदुस्थान के कुछ पहली बार इतिहास बने, किंतु इन ऐतिहासिक क्षणों को उसकी मंजिल नहीं मिल सकी। खासकर तिरंदाजी में। पहली बार क्वार्टर फाइनल में पहुंची धीरज और अंकिता भगत की जोड़ी दक्षिण कोरियाई जोड़ी से हार कर बाहर हो गर्इं। क्यों? क्योंकि दिमागी दृढ़ता का अभाव था। जितने भी इवेंट में हम बाहर हुए हैं, सब मानसिक अस्थिरता की वजह से। विरोधी दबाव के कारण। अन्यथा कौन ऐसा तिरंदाज हो सकता है, जो क्वार्टर फाइनल जैसे दौर में सात या आठ अंकों का निशाना साधता है? एक बार नहीं, बल्कि बार-बार। पराजय निश्चित है, क्योंकि विरोधी ऐसी गलती कभी नहीं करता। इस क्वार्टर फाइनल के मुकाबले में अंकिता भगत का मानसिक स्तर दबाव में रहा। उसकी हार्ट बीट भी तीर चलाते समय असामान्य होती रही यानी अंक अर्जित करने तथा हार न जाने का प्रेशर उनके निशाने को बिगाड़ता रहा, वहीं कोरियाई जोड़ी दस-दस, नौ-नौ अंक पर निशाना साधती रही। ऐसे कभी हम ओलिंपिक नहीं जीत सकते। मानसिक दृढ़ता के लिए जरूरी है अब अभ्यास।

गलत नियम की मार
हॉकी में ऑस्ट्रेलिया को हराकर टीम इंडिया ने क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया है, जबकि वो सेमीफाइनल में होती। एक गलत नियम की वजह से उसे क्वार्टर फाइनल खेलना पड़ रहा है। जी हां, पेरिस ओलिंपिक में टीम इंडिया ने इतिहास रचते हुए ऑस्ट्रेलिया को ५२ वर्ष बाद ३-२ से हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया है। टीम इंडिया पूल चरण में तीन जीत, एक ड्रा और एक हार के साथ बेल्जियम के बाद दूसरे स्थान पर रही और क्वार्टर फाइनल में उसका सामना पूल ए की तीसरे नंबर की टीम से होगा। हिंदुस्थानी हॉकी टीम के पूर्व कप्तान राजपाल सिंह का कहना है कि यह अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ का गलत नियम है, १२ टीमों की स्पर्धा में कभी क्वार्टर फाइनल नहीं होता है। विश्वकप और ओलिंपिक को छोड़कर किसी भी अन्य टूर्नामेंट में क्वार्टर फाइनल मैच नहीं होते हैं। क्वार्टर फाइनल मैच १६ टीमों की स्पर्धा में होते हैं। यह गलत नियम है। इसका विरोध हॉकी इंडिया को अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ के सामने करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसा न हो। यह बेवजह की बाधा है। अगर क्वार्टर फाइनल का मैच नहीं होता तो हमारी हॉकी टीम सीधे सेमीफाइनल खेलती।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)

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