मुख्यपृष्ठखेलक्लीन बोल्ड: बाबर की औकात ही क्या है?

क्लीन बोल्ड: बाबर की औकात ही क्या है?

अमिताभ श्रीवास्तव

जिनकी खुद की कोई औकात नहीं रह गई वो अब टीम इंडिया की हार पर उछल कूद करते हुए नाच रहे हैं, गोया इससे उनकी हैसियत बढ़ जाएगी। एक तो पहले ही पाकिस्तान क़ी खूब थू-थू हुई है, ऊपर से उसके कप्तान बाबर को स्वदेश लौटते ही निकाल बाहर फेंका गया। अब टीम इंडिया की फाइनल हार पर वो विराट कोहली की बराबरी करने की मंशा से ऑस्ट्रेलिया को बधाई दे रहा है। टी-२० विश्वकप २०२२ में इंग्लैंड ने जब पाकिस्तान को हराया था तो विराट कोहली ने इंग्लैंड को बधाई दी थी। अब बाबर ने ऑस्ट्रेलिया को दी, जिसे विराट कोहली पर ताना माना जा रहा है, जबकि बाबर खुद ये जानता है कि वो न तो कोहली की बराबरी कर सकता है और न ही टीम इंडिया की तरह उसकी कोई टीम बन सकती है। वो एक गया बीता खिलाड़ी है, जो हर पाकिस्तानी ईर्ष्यालु खिलाड़ियों की तरह एक खिलाड़ी है।

पनौती अंपायर

वर्ल्डकप २०२३ के फाइनल में अंपायर रिचर्ड वैâटलबोरो एक बार फिर टीम इंडिया के लिए पनौती साबित हुए। वैâटलबोरो का रिकॉर्ड है कि वे जब भी आईसीसी के किसी बड़े टूर्नामेंट में टीम इंडिया के अहम मुकाबले में मैदानी अंपायर या थर्ड अंपायर के रूप में मौजूद होते हैं तो टीम इंडिया को हार ही मिलती है। यह मिथक इस विश्वकप फाइनल में भी सही साबित हुआ। वैâटलबोरो का हिंदुस्थान की हारों से नाता और भी पुराना रहा है। टी-२० वर्ल्डकप २०१४, वनडे वर्ल्डकप २०१५, टी-२० वर्ल्डकप २०१६ और चैंपियंस ट्रॉफी २०१७, टी-२० वर्ल्डकप २०२१ के मुकाबलों में भी रिचर्ड वैâटलबोरो टीम इंडिया के लिए अनलकी ही साबित हए। यही कारण है कि क्रिकेट पैंâस वर्ल्डकप २०२३ फाइनल में वैâटलबोरो का नाम आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर अपनी चिंताएं व्यक्त करने लगे थे और परिणाम भी यही निकला। सोशल मीडिया पर अंपायर के खिलाफ भी गुस्सा व्यक्त किया जा रहा है। उन्हें पनौती बताया जा रहा है।

पराजय सबूत है

टीम इंडिया की पराजय एक बहुत बड़ा सबूत है उन लोगों की उड़ाई जाने वाली अफवाहों के लिए, बदनाम करने वाली जमात के लिए कि बीसीसीआई अपनी टीम को लेकर बदमाशी कर रही है या आईसीसी उसे अलग गेंद दे रही है या टॉस में बेईमानी हो रही है आदि। ऐसी बातें पाकिस्तानी पूर्व खिलाड़ियों ने खूब उड़ाई और हिंदुस्थान को बदनाम करने की साजिश रची। इन सारी बातों की धज्जियां उड़ गर्इं, फाइनल में टीम इंडिया हार गई। टॉस भी हारी, गेंदबाज भी नहीं चले और न ही बीसीसीआई ने मैच जितवाने के लिए कुछ अलग किया। आईसीसी ने भी कोई अलग गेंद नहीं दी। यदि हिंदुस्थान बेईमानी करता तो फाइनल में टीम इंडिया ही विजेता होती। इसका अर्थ यही है कि पाकिस्तान की टीम ही बेकार थी, उसे खूब हराया गया। हिंदुस्थान यदि दस मैच लगातार जीता तो अपनी काबिलियत के दम पर जीता। फाइनल में रणनीतियों के मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया आगे निकल गया और टीम इंडिया को पहली और आखिरी हार मिली।

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