अमिताभ श्रीवास्तव
पाकिस्तान के एकमात्र गोल्डन मैन को उपहार में भैंस मिली है। भैंस जो जीवन चलाए, जीवन सुधारे। और यह भैंस भी ससुर ने तोहफे में दी है। जी हां, पाकिस्तान के जेवलिन थ्रोअर अरशद नदीम ने पेरिस ओलिंपिक २०२४ में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था। अरशद ने ओलिंपिक २०२४ में रिकॉर्ड ९२.९७ मीटर की दूरी पर भाला फेंककर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इस थ्रो के कारण अरशद ने भारतीय जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा को दूसरे स्थान पर धकेला था। ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले अरशद नदीम अपने घर लौट आए हैं। पाकिस्तान की तरफ से अरशद नदीम पर नकद पुरस्कार की बारिश हो रही है। मगर उनके ससुर ने इस बीच रिकॉर्डधारी थ्रोअर को उपहार में भैंस देकर सुर्खियां बटोरी हैं। नदीम के गांव से ससुर मोहम्मद नवाज ने स्थानीय मीडिया को बताया, `उनके गांव में भैंस उपहार में देने का मतलब काफी मूल्यवान और सम्मानीय होता है। नदीम अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और सफलता हासिल करने के बावजूद वह अपने गांव में अपने परिवार के साथ ही रह रहे हैं।’
कोच को हार्ट अटैक
ओलिंपिक्स खत्म हो गया है मगर उसकी खबरें अभी कुछ दिन छन-छन कर बाहर निकलती रहेंगी। ऐसी ही एक खबर अब आई है जबकि थी दिल दहलाने वाली। जश्न के मध्य हार्ट अटैक से एक कोच की जान जाते-जाते बच गई। उज्बेकिस्तान के बॉक्सिंग कोच तुलकिन किलिचेव के लिए गोल्ड मेडल का जश्न मनाना जानलेवा साबित हुआ था। उज्बेक कोच तुलकिन किलिचेव पेरिस ओंलिपिक में अपनी टीम द्वारा पहला गोल्ड मेडल जीतने का जश्न मना ही रहे थे कि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। ब्रिटेन के ट्रेनिंग स्टाफ के दो सदस्यों ने किलिचेव को किसी तरह बचाया। तुलकिन किलिचेव अब अस्पताल में भर्ती हैं। उज्बेकिस्तान ने पेरिस ओंलिपिक में बॉक्सिंग में ५ गोल्ड मेडल जीते हैं। यह २० साल में किसी भी ओंलिपिक टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उज्बेकिस्तान के बॉक्सरों ने ४ गोल्ड मेडल तुलकिन किलिचेव को दिल का दौरा पड़ने के बाद जीते।
ये सिल्वर भी मिल जाए तो क्या?
पोडियम पर खड़े होकर मेडल प्राप्त करने की बात ही कुछ और होती है। लड़कर जीतना और जीतकर जश्न मनाना अलहदा रोमांच है। खिलाड़ी इसी एक दिन के लिए तो मेहनत करते हैं और यदि कोई मेडल मैदान में जंग कर नहीं बल्कि अदालत में जंग कर मिलता है तो एक सूनापन सा पैâला रहता है। न कोई देने वाला, न ही पोडियम और न ही कोई राष्ट्रगान आदि। बस औपचारिक तौर पर मिलता है, पदक तालिका में जोड़ दिया जाता है बस। आज ऐसा ही कुछ होगा यदि विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल दिया जाता है तो। यूं तो बात गर्व की है पर उस रोमांच की नहीं जो होता है। यह तो खुद विनेश भी महसूस करेंगी। संभव है आज विनेश मामले में फैसला आ जाए। ओलिंपिक खत्म हो चुके हैं। यह मेडल बस विनेश तक पहुंचा दिया जाएगा और हिंदुस्थान के सात पदक हो जाएंगे। पर ये सिल्वर भी मिल जाए तो क्या है? रोमांच बगैर मिलना भी कोई मिलना है? किंतु गर्व होगा यदि फैसला विनेश के पक्ष में आएगा तो।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)