अमिताभ श्रीवास्तव
वैश्विक महामारी कोरोना आज भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। आज भी इसको लेकर एक डर का माहौल है जबकि काफी हद तक इस पर काबू पा लिया गया है। बावजूद पेरिस ओलिंपिक में इसकी एंट्री से खलबली मच गर्इं है। दरअसल, ब्रिटेन के तैराक एडम पीटी ने १०० मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक इवेंट में रजत पदक जीता था। २८ जुलाई को उन्होंने पदक जीता और अगले दिन ही कोरोना पॉजिटव पाए गए हैं। एडम पीटी के संपर्क में आए सभी एथलीट को विशेष सावधानी बरतने के लिए कहा गया है। ब्रिटिश तैराकी अधिकारियों के अनुसार, एडम रविवार से ही ठीक महसूस नहीं कर रहे थे, लेकिन इसके बाद भी वह फाइनल मुकाबले में हिस्सा लेने उतरे। अन्य एथलीट के साथ भी उन्हें बातचीत करते हुए देखा गया। फाइनल के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और सोमवार सुबह जांच करने पर उनका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया। अमेरिका के तैराकी दल की तरफ से कहा कि वे आवश्यक सावधानी बरत रहे हैं। हालांकि, यह नहीं बताया है कि क्या फिंक का टेस्ट कराया गया है या नहीं।
सिराज के सिर विराट का हाथ
कहते हैं मोहम्मद सिराज के सिर विराट कोहली का हाथ है इसलिए वो टीम इंडिया में बने हुए हैं। यदि उनके प्रदर्शन के लिहाज से आकलन किया जाए तो वो बुरी तरह एक फ्लॉप गेंदबाज हैं। श्रीलंका के साथ खत्म हुई टी-२० सीरीज में वो मुख्य गेंदबाज के रूप में थे मगर उन्होंने पूरी तरह निराश किया। बहरहाल, माना जाता है कि विराट कोहली की वजह से ही टीम इंडिया से डेब्यू करने का मौका मिला और अब लगातार खराब प्रदर्शन के बाद भी उन्हें टीम में शामिल किया गया है। सिराज ने पहली बार साल २०१७ में टीम के लिए डेब्यू किया और उस सीजन उन्होंने आईपीएल में ६ मैचों में करीब १० की इकोनॉमी से रन खरच करते हुए १० विकेट अपने नाम किए थे। हालांकि, टेस्ट मैच में डेब्यू करने के बाद से उनके प्रदर्शन में सुधार आया लेकिन अब वे एक बार फिर से फ्लॉप साबित हो रहे हैं। टीम इंडिया ने अब तक श्रीलंका के खिलाफ दो टी-२० मैच खेले हैं और इसमें सिराज का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। उन्होंने पहले मैच में ३ ओवर में २३ रन खर्च करते हुए १ विकेट अपने नाम किया था। इसके अलावा दूसरे मैच में उन्होंने ३ ओवर में २७ रन खर्च किए और उन्हें कोई सफलता भी नहीं मिली। जबकि वहीं रिंकू सिंह और सूर्यकुमार जैसे बल्लेबाज गेंदबाजी में विकेट ले गए थे।
कमजोर मुक्के
मुक्केबाजी में उम्मीद के नाम पर केवल निकाहत जरीन और लवलीना ही हैं। एक समय हिंदुस्थानी मुक्कों की गूंज हुआ करती थी मगर अभी तक के मुकाबले में मुक्के कमजोर निकले। अपने पहले ही मैच में जहां पुरुष वर्ग में अमित पंघाल हारकर बाहर हुए वहीं महिला वर्ग में जैस्मिन भी हार गर्इं। अमित पंघाल शुरुआती दौर (५१ किग्रा) में हार गए। जाम्बिया के मुक्केबाज और तीसरी वरीयता प्राप्त पैट्रिक चिनेम्बा से वह १:४ से हारे। तो जैस्मिन लैंबोरिया बॉक्सिंग के शुरुआती दौर (५७ किग्रा) में बाहर हो गर्इं। उन्हें पूर्व विश्व चैंपियन और टोक्यो रजत पदक विजेता नेस्टी पेटेसियो से ०:५ से हार मिली। दोनों मुक्केबाज अपना प्रदर्शन नहीं दिखा सके। फुर्ती में भी कमजोर रहे और थकान भी स्पष्ट देखी गई। ऐसे में उनके सिलेक्शन पर भी सवाल खड़ा होता है मगर जब नेशनल स्तर पर मुक्केबाज ही कोई न निकले तो ओलिंपिक जैसे खेलो में ऐसे कमजोर हो रहे मुक्केबाजों का ही सिलेक्शन होता है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)