अमिताभ श्रीवास्तव
धोनी ने जो ख्याति अर्जित की है वो किसी अन्य खिलाड़ी ने नहीं की है, अब देखिए न एमएस धोनी का चेन्नई सुपर किंग्स के साथी खिलाड़ियों के साथ वैâसा रिश्ता रहा है, यह सभी ने देखा है। वास्तव में कई खिलाड़ियों को तराशने में धोनी के प्रोत्साहन की बहुत ही ज्यादा भूमिका रही। वो तस्वीरें अभी भी पैंâस के जेहन में हैं, जब श्रीलंकाई युवा पेसर मथीषा पाथिराना अपनी बड़ी बहन के साथ धोनी से मिले थे। और माही ने कहा था कि यह अब मेरी जिम्मेदारी है, अब पाथिराना ने महेंद्र सिंह धोनी को अपने क्रिकेट करियर में पिता तुल्य करार देते हुए कहा कि चेन्नई सुपरकिंग्स (सीएसके) के पूर्व कप्तान की छोटी-छोटी सलाह से उन्हें काफी आत्मविश्वास मिला है। इस २१ साल के गेंदबाज ने २०२२ में इंडियन प्रीमियर लीग में पदार्पण किया था और तब से वह सीएसके की तेज गेंदबाजी इकाई के प्रमुख स्तंभ है। उनके शानदार प्रदर्शन पिछले सत्र में सीएसके को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी, वहीं पाथिराना ने कहा कि मेरे पिता के बाद मेरे क्रिकेट जीवन में ज्यादातर वही (एमएसडी) पिता जैसी भूमिका निभाते हैं। वे हमेशा मेरा ख्याल रखते हैं और मुझे कुछ मार्गदर्शन देते रहते हैं। यह ऐसा ही है, जैसे मेरे पिता घर में करते हैं।
न घर के, न घाट के
इसे कह सकते हैं कि न घर के रहे न घाट के। ये मुहावरा उन्मुक्त चंद के ऊपर सटीक बैठता है। दरअसल, मामला ये है कि कभी टीम इंडिया की अंडर १९ टीम और आईपीएल में उभरता हुआ सितारा रहे उन्मुक्त चंद मुख्य टीम में शामिल होने की जमकर मेहनत करते रहे मगर ऐसा हो न सका। लिहाजा, अपने क्रिकेट करियर को बचाने पहले क्रिकेट से संन्यास लिया फिर अपना ही देश छोड़ दिया। अमेरिका बस गए, ताकि वहां की टीम में आसानी से हाथ आजमा लिए जाएं। अब जबकि विश्वकप की मेजबानी अमेरिका कर रहा है तो वहां की टीम बिना क्वालीफाई के इस आयोजन में खेल रही है। उन्मुक्त को लगा कि वो टीम में शामिल कर लिए जाएंगे मगर ऐसा हो न सका। न टीम में चयन हुआ, न रिजर्व खिलाड़ी के तौर पर। इसीलिए तो कहा जा रहा है न घर मिला न घाट। उन्मुक्त चंद का क्रिकेट करियर कुछ ऐसा था फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ६७ मैच खेले हैं। इस बीच उनके बल्ले से ११३ पारियों में ३१.५७ की औसत से ३,३७९ रन निकले हैं। यहां उनके नाम ८ शतक और १६ अर्धशतक दर्ज हैं।
उम्मीदें अभी बाकी हैं
यह लिखे जाने तक जो स्थिति है उससे आईपीएल के अंतिम चार की टीमे लगभग स्पष्ट हो गईं हैं। बावजूद इसके कुछ ऐसे मैच बचे हैं, जो उन टीमों के लिए चमत्कार कर सकते हैं जो एकदम किनारे पैर लटकाए खड़ी हैं। जैसे चेन्नई, पंजाब, आरसीबी। इंडियन प्रीमियर लीग में इस वक्त अंक तालिका पर नजर डाले तो राजस्थान रॉयल्स १६ अंकों के साथ टॉप पर है। कोलकाता नाइटराइडर्स की टीम १४ अंक लेकर दूसरे नंबर पर है। तीसरा स्थान लखनऊ सुपर जायंट्स को हासिल है। चौथे नंबर पर सनराइजर्स हैदराबाद की टीम है। इन दोनों ही टीम के १२-१२ अंक हैं और बाकी बचे चार मैच जीतकर दोनों के पास १६ अंकों के पार जाने का मौका है। ५वें नंबर पर चेन्नई सुपर किंग्स है जबकि छठा स्थान दिल्ली वैâपिटल्स को हासिल है। दोनों के १०-१० अंक हैं। आरसीबी की टीम गुजरात को हराकर सातवें स्थान पर पहुंच गई है। पंजाब किंग्स ८वें नंबर पर है और प्लेऑफ की रेस में बनी हुई है। आरसीबी यदि अपने बचे मैच जीतती है तो एक उम्मीद उसकी भी बनती दिखती है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)