अमिताभ श्रीवास्तव
हिंदुस्थान टेबल टेनिस ने निश्चित रूप से ओिंलपिक में इतिहास बनाया। पहली बार हमारी दो खिलाड़ी अंतिम १६ में पहुंची मगर यहां आकर मात खा गई। मात इसलिए नहीं खाई कि हम जीत नहीं सकते थे बल्कि इसलिए खाई क्योंकि हममें वो आक्रमकता नहीं थी, जिसकी जरूरत विश्व स्तरीय खिलाड़ियों से भिड़ने के लिए होनी चाहिए। बड़े खिलाड़ी सोचकर जो मानसिकता बना ली जाती है उससे बाहर निकलने की जरूरत है। मनिका बत्रा और श्रीजा अकुला देश की ही नहीं बल्कि विश्व की शानदार खिलाड़ी हैं मगर इनमें आक्रमकता की कमी दिखी, जो इनकी विरोधी खिलाड़ियों में थी। मनिका तो एक गेम जीत भी गई थी जापानी खिलाड़ी से और अकुला ने चीन की खिलाड़ी से दो मैच टाईब्रेकर में गंवाए। यह दर्शाता है कि हम बड़े खिलाड़ियों को भी मात दे सकते हैं यदि मानसिक स्थिति को आक्रामक बना लें।
न लेंस, न सुरक्षा, फिर भी सिल्वर पर निशाना
पेरिस ओलिंपिक का एकमात्र रजत पदक विजेता जो सोशल मीडिया पर छा गया है क्योंकि यह शूटर न कोई विशेष लैंस लगता है न कोई सुरक्षा अपनाता है और एक हाथ जेब में रखकर सधा हुआ निशाना साध लेता है। गजब का निशानेबाज है। जी हां, तुर्की के एयर पिस्टल शूटर यूसुफ डिकेक २०२४ पेरिस ओलिंपिक में रजत पदक जीतने के बाद सोशल मीडिया पर सबसे हॉट मीम बन गए हैं। ५१ वर्षीय एथलीट की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। सोशल मीडिया `एक्स’ पर, इस तस्वीर वाली एक पोस्ट को ६२ मिलियन से ज्यादा बार देखा गया। वैâप्शन में लिखा था, `तुर्की ने ५१ साल के एक व्यक्ति को बिना किसी विशेष लेंस, आंखों के कवर या कान की सुरक्षा के भेजा और उसे रजत पदक मिला।’
समय आ गया है
पेरिस पहुंचकर बेहतरीन मैसेज देनेवाले हिंदुस्थान के भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा के लिए भी समय आ गया है कि वो अपने लिखे हुए मैसेज को साकार करें। बस ६ अगस्त को उनका कमाल देखने के लिए विश्व की प्रतीक्षा समाप्त होगी। नीरज चोपड़ा से गोल्ड मैडल की उम्मीदें हैं, उनसे विश्व रिकॉर्ड को तोड़ने की आस है क्योंकि यही समय है। हिंदुस्थानी एथलेटिक्स के पोस्टर बॉय नीरज चोपड़ा जैवलिन थ्रो ओलिंपिक में लगातार दूसरी बार चैंपियन बनने के इरादे से उतरेंगे। उनकी नजर ९० मीटर के उस मार्क को हासिल करने पर भी होगी। नीरज अभी तक अपने भाला को ९० मीटर की दूरी तय नहीं करा सके हैं। नीरज चोपड़ा मामूली चोटों के कारण ओलिंपिक से पहले अधिक प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पाए थे। इसके बावजूद उन्हें लगातार दूसरे ओलिंपिक स्वर्ण पदक के लिए प्रबलदावेदार माना जा रहा है। क्योंकि यही समय है और समय आ गया है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)