अमिताभ श्रीवास्तव
पिछली बार नीरज चोपड़ा ने ही स्वर्ण पदक के लिए एक पत्थर सेट कर दिया था और वही उनके लिए चोट करनेवाला रहा। दरअसल, खेलों में रिकॉर्ड बनते हैं तो उसके टूटने के चांस भी साथ में बन जाते हैं। अपने बनाए रिकॉर्ड की खिलाड़ी को खुशी तो रहती है मगर उसके कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ जाती है कि वो इसे बचाए रखे या इसे भी पार करे अन्यथा दूसरा कोई उसका सेट किया हुआ खेल बिगाड़ सकता है और यह स्थिति बड़ी अफसोसजनक रहती है। नीरज ने पिछली बार जो रिकॉर्ड सेट किया था, उससे बेहतर भाला फेंका और ८९.४५ मीटर को छुआ मगर पाकिस्तान के अरशद नदीम ने तो कहर बरपा दिया। ९२.९७ मीटर का विश्व रिकॉर्ड बनाकर ऐसी स्थिति बना दी कि अब वर्षों तक कोई इसे छू न सकेगा। नीरज भले विश्वविजेता रहे मगर वो अपने करियर में आज तक ९० तक न छू सके और यह तो ९३ मीटर के लगभग का रिकॉर्ड बन गया है। यह सब इसलिए है कि नीरज ने ही दुनिया को इससे अधिक फेंकने को तैयार किया और इसमें पाकिस्तान के नदीम कामयाब हुए।
दुखद बहुत कुछ है
यह भी कि पाकिस्तान ने एकमात्र मेडल जीता और वो पदक तालिका में हिंदुस्थान से ऊपर हो गया इसके बावजूद कि हमने पांच मेडल जीते। यह १४१ एथलीट भेजने और मात्र सात एथलीट भेजने के मध्य का फर्क है क्या हमारी ओलिंपिक समिति ध्यान देगी या खेल बजट में करोड़ों व्यय कर देने के बाद भी खिलाड़ी सरकार की आलोचना ही करते रहेंगे? विनेश को लेकर जो माहौल बनाया गया वो इतना दुर्भाग्यपूर्ण था कि हमने उन पांच एथलीटों को भी नजरअंदाज कर दिया, जिन्हें वजन ज्यादा होने के बाद इसी ओलिंपिक से बाहर कर दिया गया है और उनके देश में ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं की गर्इं, जो हिंदुस्थान में हो रही है। जबकि ये गलती सीधे-सीधे खिलाड़ी की और साथ में गए उसके कोच, अधिकारियों की थी। ऐसा जब तक होता रहेगा तब तक हिंदुस्थानी खेल कभी ऊपर नहीं आ सकता। एक गोल्ड जीतकर पाकिस्तान पदक तालिका में इंडिया से ऊपर है। इस बार ओलिंपिक में हमारा राष्ट्रगान न बज सका। कितना दुखद है यह क्या कोई इसकी कल्पना कर सकता है? यदि नहीं कर सकता तो यह मानकर चलिए कि हिंदुस्थान खेलों के मामले में ओलिंपिक जैसे आयोजन में कभी महत्वपूर्ण नहीं बन सकता।
दीवार बने कोच
न…न… यह क्रिकेट के राहुल द्रविड़ की बात नहीं है बल्कि हॉकी के दीवार की बात है। जी हां, श्रीजेश नामक इसी श्रीजेश नामक `दीवार’ ने टीम इंडिया को ब्रांज मेडल चूम सकने योग्य बनाया अन्यथा आज परिणाम कुछ और होता। श्रीजेश ने इस ओलिंपिक में दुनिया के किसी भी गोलकीपर से ज्यादा गोल बचाए हैं और स्पेन के खिलाफ यह उनका आखिरी मैच था। श्रीजेश रिटायर हो गए हैं मगर हॉकी समिति ने उन्हें हॉकी से दूर नहीं होने दिया है और अब उन्हें हिंदुस्थान की जूनियर हॉकी टीम का मुख्य कोच बनाया गया है। पीआर श्रीजेश के अनुभव और उनके योगदान को देखते हुए हॉकी इंडिया ने उन्हें जूनियर मेंस हॉकी टीम का नया हेड कोच नियुक्त किया है। हॉकी इंडिया की तरफ से इस बात की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर दी गई, जिसमें उन्होंने पीआर श्रीजेश की फोटो के साथ पोस्ट करते हुए लिखा कि जूनियर पुरुष हॉकी टीम के नए मुख्य कोच के तौर पर पीआर श्रीजेश इस जिम्मेदारी को संभालेंगे। आप सभी युवाओं को आगे भी इसी तरह से प्रेरित करते रहेंगे। हमें आपके कोचिंग कार्यकाल का बेसब्री से इंतजार है।