२५ हजार करोड़ के घोटाले में है अजीत पवार का नाम
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) यानी शिखर बैंक घोटाले में हुए कथित २५,००० करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में मुंबई पुलिस की तरफ से क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है। अब इस केस में ईडी और मुंबई पुलिस एक दुसरे के विरोध में आ गई हैं। मामले में ईडी ने हस्तक्षेप करते हुए चिंता व्यक्त की कि क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करने से घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर असर पड़ेगा। ईडी ने मामले में पहले ही पूरक आरोपपत्र दाखिल कर दिया है। कोर्ट में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) द्वारा मामले की क्लोजर रिपोर्ट फाइल की गई थी। बता दें कि ईओडब्ल्यू ने ही पहले प्राथमिकी दर्ज की थी और राकांपा (अजीत पवार गुट) नेता और मौजूदा उप मुख्यमंत्री अजीत पवार सहित ७० लोगों को नामजद किया गया, लेकिन बाद में ईओडब्ल्यू ने कहा कि सहकारी बैंक को कथित घोटाले से कोई नुकसान नहीं हुआ।
ईओडब्ल्यू ने अपने जवाब में क्या कहा?
ईओडब्ल्यू ने गुरुवार को अपने जवाब में बताया कि ईडी की इसी तरह की हस्तक्षेप याचिका को पहले सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की विशेष अदालत ने खारिज कर दिया था। कथित घोटाले की जांच करने वाली ईओडब्ल्यू ने सितंबर २०२० में अपनी पहली क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी और अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया था, लेकिन अक्टूबर २०२२ में जांच एजेंसी ने अदालत को सूचित किया कि वह शिकायतकर्ताओं और ईडी द्वारा दायर विरोध याचिकाओं में उठाए गए बिंदुओं के आधार पर आगे की जांच कर रही है। इस साल मार्च में ईओडब्ल्यू ने फिर से मामले को बंद करने की मांग की।
२५ हजार करोड़ रुपए का घोटाला
आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी में अजीत पवार को आरोपी बनाया गया है, साथ ही ७० से अधिक अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है, जो संबंधित अवधि के दौरान बैंक के निदेशक के रूप में कार्यरत थे। आरोपों में २००७ से २०१७ के बीच महाराष्ट्र सरकार को २५,००० करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही गई थी, जिसमें चीनी मिलों को ऋण वितरण में बैंकिंग नियमों और आरबीआई के दिशानिर्देशों के उल्लंघन और चूककर्ता व्यवसायों की परिसंपत्तियों की कम कीमत पर बिक्री की बात कही गई थी।