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आपदा के बादल : भूस्खलन का भय, काशीद-कोपर वासी रातभर करते हैं पहरेदारी!

• टैंक के निर्माण से खड़ी हुई समस्या
• अस्थाई तौर पर विस्थापन की मांग
सामना संवाददाता / वसई
इर्शालवाड़ी भूस्खलन के बाद से महानगर मुंबई सहित उपनगरों के तलहटी, पहाड़ी क्षेत्रों में बसे गांवों में रहनेवाले लोगों के मन में भय का माहौल निर्माण हो गया है। कुछ ऐसा ही हाल वसई तालुका के वाशीद-कोपर गांव के लोगों का भी है। ग्रामीण भूस्खलन के भय से रात-रातभर जगकर पहरेदारी कर रहे हैं। दरअसल, गांव में महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) द्वारा पीने के पानी की टंकी का निर्माण कार्य चल रहा है, जिससे ये समस्या सामने आ रही है। गौर करनेवाली बात यह है कि निर्माण कार्य शुरू करने से पहले ही ग्रामीणों ने टंकी का निर्माण अन्यत्र करने या उन्हें अस्थाई रूप से विस्थापित करने की मांग की थी। इसके बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
कई मकान हो गए क्षतिग्रस्त
बता दें कि एमएमआरडीए के माध्यम से वसई-विरार और मीरा-भायंदर नगर निगम को पानी की आपूर्ति करने की योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत वसई-विरार नगर निगम को पानी की आपूर्ति करने के लिए काशीद-कोपर गांव में एमएमआरडीए द्वारा एक पानी की टंकी का निर्माण किया जा रहा है। यह काम फिलहाल अंतिम चरण में है, लेकिन इस काम को शुरू करने से पहले स्थानीय लोगों को विश्वास में नहीं लिया गया, ऐसा आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। चूंकि यह टंकी भविष्य में गांव के लिए खतरा बन सकती है, इसलिए स्थानीय लोगों ने इस टंकी का स्थान बदलने की मांग की थी, फिर भी यह काम को जारी रखा गया। इस टंकी के लिए अब तक पहाड़ पर धमाके भी किए जा चुके हैं। इससे ग्रामीणों के मकान भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ऐसे में मौजूदा बारिश के कारण यहां भूस्खलन की आशंका है।
गांव की उपेक्षा करने का आरोप
विरार के काशीद-कोपर की आबादी २,५०० है। पहाड़ पर खुदाई के कारण भूस्खलन और हादसों के डर से स्थानीय लोगों की नींद उड़ गई है। साथ ही उनके द्वारा एक परिवार को प्रतिदिन रात में निगरानी करने की बात कही गई। गौरतलब है कि इर्शालवाड़ी त्रासदी के बाद नगरपालिका वसई-विरार क्षेत्र में खतरनाक स्थानों पर बस्तियों को स्थानांतरित कर रही है, लेकिन यहां के लोगों को स्थानांतरित नहीं किया गया। इस मामले पर ‘गांव वाचवा संघर्ष समिति’, काशीद-कोपर के अध्यक्ष संदीप किनी ने प्रशासन द्वारा गांव की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने ग्रामीणों की ओर से अस्थाई रूप से नागरिकों को यहां स्थानांतरित करने की मांग की है।

एमएमआरडीए के अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों को दी झूठी रिपोर्ट
कुछ माह पहले पेयजल टंकी पर काम के दौरान पहाड़ का एक हिस्सा ढह गया था। टैंक की खुदाई के दौरान १०.३० मीटर की दूरी पर पत्थर है, ऐसा एमएमआरडीए अधिकारियों ने सांसद राजेंद्र गावित के निरीक्षण के दौरान कहा था, लेकिन हिस्सा ढहने के बाद देखा गया कि इस जगह पर सिर्फ मिट्टी ही थी। इसलिए वसई में पर्यावरण संरक्षण समिति के समन्वयक और कांग्रेस पर्यावरण विभाग के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष समीर वर्तक ने आरोप लगाया है कि एमएमआरडीए के अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों को झूठी रिपोर्ट दी है। उन्होंने एक बार फिर मुख्यमंत्री से मांग की है कि इन गुमराह करनेवाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। साथ ही इस टंकी का स्थान बदला जाए, क्योंकि आशंका है कि भविष्य में यह टंकी गांव के लिए खतरा बन जाएगी।

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