सामना संवाददाता / मुंबई
असंवैधानिक महायुति सरकार में कभी भी तालमेल नहीं था। केवल शिवसेना और राकांपा को तोड़ने और महाराष्ट्र को कमजोर करने के लिए यह असंगठित सरकार सत्ता में आई है। ये एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। साथ ही राजनीति में फडणवीस की ऐसी स्थिति हो गई है कि उन्हें अब कोई नहीं पूछ रहा है। मुख्यमंत्री दिल्ली में सबसे ज्यादा खोके पहुंचा रहे हैं। इस तरह का तंज भरा जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने किया है। मीडिया से बातचीत में संजय राऊत ने विश्वास जताते हुए कहा कि शिवसेना और महाविकास आघाड़ी की चुनावी तैयारी पूरी हो गई है। किसी भी वक्त चुनाव होने दीजिए, हम बिल्कुल तैयार हैं। उन्होंने आगे कहा कि लाडली बहन योजना किस तरह से कपटपूर्ण है, यह खुद पीएम मोदी झारखंड में कहते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि योजना राजनीतिक दृष्टि से प्रेरित है। इसलिए झारखंड को एक न्याय और महाराष्ट्र को दूसरा न्याय ऐसा नहीं हो सकता है। संजय राऊत ने कहा कि यह योजना राजनीतिक दृष्टि से प्रेरित होने की बात पीएम कह रहे हैं तो उन पर विश्वास रखना चाहिए।
लालची है महायुति सरकार
संजय राऊत ने कहा कि महायुति सरकार लालची है। प्रत्येक काम पर उसका ४० प्रतिशत कमीशन होता है। घातियों को दूसरे राज्यों का खर्च भी उठाना पड़ रहा है। इसलिए महाराष्ट्र को लूटा जा रहा है। उन्होंने यह भी हमला बोला कि यह असंवैधानिक सरकार सिर्फ महाराष्ट्र को लूटने के लिए सत्ता में आई है। संजय राऊत ने यह भी सुझाव दिया कि उन्हें इस पर एक किताब प्रकाशित करनी चाहिए कि भाजपा ने हरियाणा चुनाव वैâसे जीता। उन्होंने कहा कि महज ०.६ फीसदी ज्यादा वोट पाकर भाजपा ने ३० सीटें वैâसे बढ़ा लीं, यह बड़ा सवाल है। लोगों को अब इस बारे में सोचना चाहिए।
चुनाव अयोग को चलाता है सत्ता पक्ष
संजय राऊत ने कहा कि अब सत्ताधारी पक्ष चुनाव आयोग को चलाता है। सत्ताधारी दल ही चुनाव आयोग को कार्यक्रम देता है। ऐसी तस्वीर बन गई है कि चुनाव को लेकर पैâसले सिर्फ सत्ताधारी दल ही लेता है। संजय राऊत ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य के चुनाव हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के साथ होने की उम्मीद थी। हालांकि, सत्ताधारी के लिए सुविधाजनक न होने और हरियाणा के साथ ही जम्मू कश्मीर में चुनाव प्रचार को समय न दे पाने के कारण राज्य के चुनाव को आगे खिसका दिया गया।
इस बात का रखना होगा ध्यान
संजय राऊत ने यह भी कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास समय होता है, तो वे विदेश में होते हैं। साथ ही जब वे विदेश में नहीं होते हैं तो वे किसी न किसी प्रचार में रहते हैं। ऐसा लगता है कि हमारे प्रधानमंत्री के पास केवल दो ही काम हैं। अगर सत्ता पक्ष कहता है कि अगले तीन-चार दिन में आचार संहिता लग जाएगी तो आपको उस पर विश्वास करना होगा। उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि चुनाव कभी भी हो जाने दीजिए, हमारी तैयारी पूरी है। हमें बस इस बात पर नजर रखनी है कि उन्होंने ईवीएम को किन गोदामों में छिपा रखा है और बंद दरवाजों के पीछे उनमें क्या डाला जा रहा है?